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Bihar Politics: राजनीति की समझ पर प्रशांत किशोर ने तेजस्वी को दी नसीहत, कहा- चाचा-भतीजा के साथ आने पर तीन में दो चुनाव हारे
Prashant Kishore Statement: जन सुराज पदयात्रा यात्रा के दौरान शुक्रवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने महागठबंधन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चाचा-भतीजा सिर्फ जनता को धोखा दे रहे हैं.
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पटना: जन सुराज पदयात्रा के 69वें दिन शुक्रवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ( Tejashwi Yadav) पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव लालू यादव (Lalu Yadav) के बिना कुछ भी नहीं हैं, जिस चाचा-भतीजा के बारे में आप बात कर रहे हैं वो जनता के साथ सिर्फ धोखा कर रहे हैं. जब से ये चाचा-भतीजा सत्ता में आए हैं, तब से तीन उप-चुनाव हुए हैं, जिसमे दो हार में का सामना करना पड़ा है. एक चुनाव जीते, क्योंकि वो बाहुबली की सीट थी.
'10 लाख नौकरी का वादा क्या हुआ'
प्रशांत किशोर ने कहा कि ये चाचा-भतीजा से उप-चुनाव तो इनसे जीता नहीं जाता, ये मुझे चुनाव लड़ना क्या सिखाएंगे. 2015 में मैंने इनकी मदद नहीं की होती, तो क्या महागठबंधन को जीत हासिल होती. वहीं, इस दौरान उन्होंने तेजस्वी यादव पर हमला बोलते हुए कहा कि तेजस्वी यादव को राजनीति की कितनी समझ है? 2015 में विधायक बने. इससे पहले इनको कौन जानता था? बिहार के जनता ने इनको नहीं चुना है. उन्होंने 10 लाख नौकरी का जो वादा किया था, उसका क्या हुआ? पत्रकार भी कभी उनसे सवाल पूछने का हिम्मत नहीं करते.
नीतीश कुमार आखिरी बार प्रेस वार्ता कब किए हैं - प्रशांत किशोर
चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि तेजस्वी यादव ने कहा था कि पहली कैबिनेट में जिस कलम से साइन करेंगे, उससे दस लाख लोगों को नौकरी मिल जाएगी. पत्रकारों ने भी RJD के नेताओं से कभी नहीं पूछा कि कलम टूट गई है या स्याही सुख गई है. कैबिनेट मीटिंग भी इसपर नहीं हो रही है. वहीं, नीतीश कुमार आखिरी बार प्रेस वार्ता कब किए हैं ? यह किसी को याद भी नहीं है. नीतीश कुमार से भी कोई पत्रकार सवाल नहीं पूछता.
'लालू यादव को अपने बेटे की चिंता है'
वहीं, बता दें कि पूर्वी चंपारण के गहई में जन सुराज पदयात्रा के दौरान प्रशांत किशोर ने छोटकी गहई गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि लालू यादव को अपने बेटे की चिंता है कि कैसे उनका बेटा मुख्यमंत्री बन जाए, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. अगर जनता वोट देगी तो वो मुख्यमंत्री भी बन सकते हैं. लेकिन आपको अपने बेटे की चिंता नहीं है, आप अपने बच्चों के भविष्य के लिए परेशान क्यों नहीं हैं?
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