Bihar Politics: JDU में आते ही सलीम परवेज ने RJD को दिखाई आंख, 'जो घर नहीं संभाल सकता वो बिहार क्या संभालेगा'
सलीम परवेज ने आरजेडी का दामन छोड़ फिर से जेडीयू की सदस्यता ग्रहण कर ली है. जेडीयू में आते ही उनके सुर बदल गए. उन्होंने आरजेडी और लालू यादव पर जमकर हमला बोला.
पटनाः बिहार विधान परिषद के पूर्व उपसभापति सलीम परवेज (Salim Parvez) ने आरजेडी (RJD) का दामन छोड़ फिर जेडीयू (JDU) की सदस्यता ग्रहण कर ली है. रविवार को जेडीयू कार्यालय में मिलन समारोह हुआ. इस दौरान ललन सिंह, उपेंद्र कुशवाहा और उमेश कुशवाहा, मंत्री विजय चौधरी सहित कई लोग समारोह में शामिल हुए. जेडीयू में शामिल होते ही सलीम परवेज ने आरजेडी पर हमला बोला और कहा कि जो अपना परिवार नहीं संभाल सकता है वो बिहार क्या संभालेगा. उन्होंने कहा कि अब वह अपने पुराने घर में आए हैं.
सलीम परवेज ने कहा कि मुस्लिम समाज को एक पार्टी ने डरा कर रखा है. उन्हें सिर्फ वोट बैंक समझा गया है. यहां भी उनका इशारा आरजेडी की तरफ था. कहा कि ऐसी पार्टी में मेरे जैसे लोगों के लिए रहना मुनासिब नहीं है. सलीम परवेज ने केंद्र सरकार से मांग की और कहा कि नीतीश कुमार अकलियत के हमदर्द हैं. उन्हें शांति एवं सद्भावना के लिए नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए. वहीं, जेडीयू में शामिल होने के बाद सलीम परवेज ने नीतीश कुमार से भी शिष्टाचार मुलाकात की.
‘नीतीश कुमार ने बिहार को अपना समझा’
वहीं मौके पर मौजूद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि सलीम परवेज का जेडीयू में आना घर वापसी जैसा है. आरजेडी में जो भी है वह गलतफहमी का शिकार है. उस पार्टी के लोग जब असलियत समझते हैं तो वे फिर पार्टी से अलग हो जाते हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि लालू परिवार में जो कुछ हो रहा है वो जनता देख रही है. नीतीश कुमार ने बिहार को अपना समझा है.
‘नीतीश कुमार का पलड़ा हमेशा रहेगा भारी’
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि सलीम परवेज रास्ता भटक गए थे लेकिन अब अपने घर का रास्ता पा लिया है. नीतीश कुमार के रहते कोई किसी का बाल भी बांका नहीं कर सकता है. रंगनाथ मिश्रा आयोग ने जो रिपोर्ट दी थी उसमें अल्पसंख्यक समाज के पिछड़ेपन के लिए शिक्षा को वजह बताया था. नीतीश कुमार ने शिक्षा को सबसे ज्यादा प्राथमिकताओं में रखा.
ललन सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यक समाज के लिए जितना काम किया है आजादी के बाद से अभी तक किसी से भी तुलना करें तो नीतीश कुमार का पलड़ा भारी रहेगा. जब तक नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं तब तक अल्पसंख्यक समाज की तरफ कोई अंगुली तक नहीं उठा सकता है. अल्पसंख्यक समाज को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है. नीतीश कुमार के राज में कितना दंगा हुआ, जरा पहले के पति-पत्नी के राज में देख लीजिए. नीतीश कुमार अपने सिद्धांत से कभी समझौता नहीं कर सकते.
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