Bihar Politics: सुशील मोदी ने कसा तंज, प्रधानमंत्री ने गरीबों को दिया राज, लालू ने बनाया ‘परिवार राज’
सुशील मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करने वाले लालू खुद आत्ममुग्धता से ग्रस्त हैं. उनके अहंकार ने रघुवंश बाबू की जीवनरेखा छोटी कर दी और कई वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगा दिया.
पटनाः बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य सुशील कुमार मोदी अक्सर लालू और उनके परिवार को लेकर टिप्पणी करते रहते हैं. सोमवार को भी ट्वीट कर एक तरफ सुशील कुमार मोदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियां गिनाईं तो दूसरी ओर लालू और उनके परिवार पर निशाना साधा. सोमवार को ही आरजेडी ने अपना 25वां स्थापना दिवस मनाया था और सरकार पर हमला बोला था जिसपर अब सुशील मोदी ने पलटवार किया है.
सुशील मोदी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 करोड़ गरीब लोगों का जनधन खाता खुलवाकर उनके लिए बैंक के दरवाजे खोले तब लालू प्रसाद ने इसका विरोध किया था. कोरोना और लॉकडाउन के समय आज यही खाता गरीबों का सहारा बना. इसी खाते से गरीबों तक पैसे पहुंचाकर उनकी मदद की गई है.
गांवों तक बिजली पहुंचाई गई, घर और शौचालय बने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि बिना जाति-धर्म पूछे आठ करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया गया. बिहार के सभी गावों तक बिजली पहुंचाई गई. गरीबों को घर और शौचालय मिले. किसानों को सालाना छह हजार रुपये की सम्मान सहायता देने की शुरुआत की गई. प्रधानमंत्री मोदी का शासन ही गरीबों का राज है, लालू प्रसाद ने तो केवल गरीबों के वोट से परिवार का राज कायम किया है.
‘लालू यादव ने वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगा दिया’
सुशील मोदी ने कहा कि लालू प्रसाद का अहंकार ऐसा है कि ऊंची जाति के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देने के मोदी सरकार के फैसले को सही कदम मानने वाले रधुवंश प्रसाद सिंह जैसे कद्दावर नेता की बात नहीं मानी गई. लालू प्रसाद के अहंकार ने रघुवंश बाबू की जीवनरेखा छोटी कर दी और कई वरिष्ठ नेताओं को किनारे लगा दिया.
प्रधानमंत्री पर टिप्पणी करने वाले लालू खुद आत्ममुग्धता से ग्रस्त हैं, इसलिए अपने शासनकाल में हुए 100 से ज्यादा नरसंहार, नक्सलियों को समर्थन देने के कारण बर्बाद हुई बिहार की खेती, लालटेन युग में ठहरे गांव और फिरौती-अपहरण के चलते 15 साल में लाखों लोगों का पलायन दिखाई नहीं देता. लालू प्रसाद ने अपराध का राजनीतिकरण किया और सत्ता को संपत्ति बनाने के अवसर में बदला. सुशील मोदी ने एक सवाल करते हुए लिखा, “क्या यही गरीबों का राज था कि चपरासी की नौकरी देने के बदले गरीब की जमीन लिखवा ली गई?”
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