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Bihar Politics: ‘अर्जुन’ को क्यों ‘प्रवासी सलाहकार’ बता रहे तेज प्रताप? जानें इस नाराजगी के पीछे की पूरी कहानी

आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बीते बुधवार को कई दिनों के बाद पार्टी कार्यालय पहुंचे थे. आने के बाद उनके एक फैसले से आरजेडी में घमासान मच गया.

पटनाः आरजेडी के 25वें स्थापना दिवस से ही पार्टी में जगदानंद सिंह और तेजप्रताप को लेकर घमासान मचा है. यह कारण सामने आ रहा था कि जगदानंद सिंह लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप के बयानों से आहत हैं. एक बार नहीं बल्कि कई बार तेजप्रताप ने तीखे बयान दिए जिसको लेकर जगदानंद सिंह में कहीं ना कहीं नाराजगी आने लगी. ऐसे में बुधवार को जगदानंद के एक फैसले के बाद तेजप्रताप ने अपने छोटे भाई जिसके लिए वो हमेशा जान दे देने की बात कहते हैं, अपना अर्जुन बताते हैं उन्हें प्रवासी सलाहकार बता दिया है.

अब सवाल उठता है कि आखिर तेजप्रताप ने क्यों प्रवासी सलाहकार की बात कही और इसके पीछे की वजह क्या है? दरअसल, आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बीते बुधवार को कई दिनों के बाद पार्टी कार्यालय पहुंचे थे. कार्यालय पहुंचते ही उन्होंने पार्टी के युवा विंग की जिम्मेदारी गगन कुमार को सौंप दी. इससे पहले युवा विंग के अध्यक्ष आकाश यादव थे. सबसे बड़ी बात कि इस दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी खुद उनके साथ मौजूद थे.

आकाश यादव को पदमुक्त किए जाने से भड़के तेज प्रताप ने ट्वीट कर कहा, "प्रवासी सलाहकार से सलाह लेने में अध्यक्ष जी ये भूल गए कि पार्टी संविधान से चलती है और आरजेडी का संविधान कहता है कि बिना नोटिस दिए आप पार्टी के किसी पदाधिकारी को पदमुक्त नहीं कर सकते. आज जो हुआ वो आरजेडी के संविधान के खिलाफ हुआ."

हालांकि आकाश यादव के हटाए जाने पर जगदानंद सिंह ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, "मैंने किसी को अध्यक्ष बनाया ही नहीं था. आकाश को छात्र आरजेडी की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी. मेरी जानकारी में वह पद खाली था और आज उसे मैंने भर दिया है. आकाश यादव छात्र आरजेडी के अध्यक्ष पद पर कैसे थे, मैं इसकी जानकारी नहीं दे सकता हूं, लेकिन आज जो छात्र आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं, वह छात्रों के बीच के हैं और एक अच्छे छात्र नेता हैं."

25वें स्थापना दिवस से ही नाराज थे जगदानंद सिंह

बता दें कि सियासी सूत्रों के हवाले से जो बातें सामने आ रही थीं उसके अनुसार तेजप्रताप यादव के बयान से जगदानंद सिंह को उनके मान-सम्मान को धक्का लगा है. तेजप्रताप यादव द्वारा यह कहे जाने पर कि वे मनमानी करते हैं, उन्हें गहरा आघात पहुंचा है. बीते पांच जुलाई को आरजेडी के स्थापना दिवस पर तेजप्रताप के ऐसे ही एक बयान से खफा होकर उन्होंने इस्तीफे की पेशकश की थी.

इसके बाद तेजप्रताप ने छात्र आरजेडी बैठक में हिटलर जैसे शब्द का भी इस्तेमाल कर दिया था. कहा था कि, “जब मैं पहले पार्टी कार्यालय आता था उस समय और आज में जमीन-आसमान का फर्क है. जब पिता जी थे तो पार्टी कार्यालय का गेट हमेशा खुला रहता था. विरोधियों द्वारा फंसाने के बाद जब पिता जी उधर गए तो उसके बाद से कुछ लोग अपने-अपने तरीके से मनमानी करने लगे हैं. जब वो मनमानी करने लगे तो हमने मिमिक्री करना चालू कर दिया. ये मनमानी है, ये कुर्सी किसी की बपौती नहीं है.”

पार्टी कार्यालय तक नहीं जा रहे थे जगदानंद

बुधवार से पहले तक जगदानंद सिंह कई दिनों से पार्टी कार्यालय नहीं जा रहे थे. 15 अगस्त को भी उनकी जगह तेजस्वी यादव ने ही तिरंगा फहराया था. ऐसे में तेजप्रताप के बयानों से जगदानंद सिंह की नाराजगी को जोड़कर देखा जा रहा था. हालांकि इस मामले में तेजस्वी ने कहा था कि उनकी कोई नाराजगी नहीं है.

लालू यादव के करीबी हैं जगदानंद सिंह

बता दें कि जगदानंद सिंह अनुशानप्रिय व कम बोलने वाले नेता हैं. वे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी हैं. आरजेडी के सबसे बड़े रणनीतिकारों में से वह एक हैं. उनका महत्व इस बात से ही समझा जा सकता है कि जब चारा घोटाले में लालू यादव के जेल चले गए तो राबड़ी सरकार को संभालने में उनकी प्रमुख भूमिका थी. तेजस्वी यादव उन्हें पसंद करते हैं.

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