पटना: बिहार में लंबे समय से जातीय जनगणना कराने की मांग उठ रही है. इस बाबत बिहार विधानसभा से दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया जा चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस बात के पक्ष में हैं. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जातीय जनगणना को हरी झंडी नहीं मिल पा रही है. इस वजह से सूबे की सियासत गरमाई हुई है. इसी सियासी उथल-पुथल के बीच तेजस्वी यादव आज शुक्रवार को एक बजे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करेंगे. संभावना है कि दोनों इस मुद्दे पर बातचीत कर सकते हैं. 


दो प्रस्ताव रखेंगे तेजस्वी यादव


मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के संबंध में तेजस्वी यादव ने कल ही विधानसभा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि वो मुख्यमंत्री से मिलने का समय लेंगे और दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव जो बिहार के हित में हैं, उसे वो उनके सामने रखेंगे. उन्होंने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री खुद जातीय जनगणना के पक्षधर हैं, तो जैसे कर्नाटक सरकार ने अपने खर्च पर गिनती कराई. वो भी एलान करें कि हम भी जातीय जनगणना अपने अपने खर्च पर करा रहे हैं.


बिहार विधानसभा में पत्रकारों से बात करते हुए तेजस्वी ने कहा कि मॉनसून सत्र का चौथे दिन था, हम लोगों ने कार्य स्थगन प्रस्ताव लाने का काम किया. जातीय जनगणना को लेकर जो हमारी मांग रही है, उसको लेकर विधानसभा में दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया था. एसटी/एससी से लेकर हर धर्म के लोगों की, यहां तक की जानवरों की भी गिनती होती है.


योजना बना पाना है मुश्किल


हालांकि, जो ओबीसी या अन्य पिछड़ी जाति के लोग हैं, उनकी गिनती नहीं होती है. ऐसे में जब तक हमें पता नहीं चलेगा कि समाज के अंतिम पायदान पर कौन हैं, हम उनके हितों के लिए काम कैसे करेंगे. मुख्यमंत्री भी इसके पक्षधर हैं. लेकिन ये जनगणना करेगा कौन? यहां डबल इंजन की सरकार है. केंद्र सरकार ने स्पष्ट कहा है कि हम गिनती नहीं कराएंगे.


उन्होंने कहा, " हम सदन में प्रस्ताव लाकर अपनी मांग रखना चाहते हैं, पर बार-बार हमें प्रस्ताव लाने से रोका जा रहा है. इसलिए रोका जा रहा है कि कहीं मुख्यमंत्री कोई दुविधा में ना पड़ जाएं." तेजस्वी ने कहा कि इस संबंध में उनकी सभी विपक्षी नेताओं से बात हुई है. वे ये प्रस्ताव देना चाहते हैं कि जातीय जनगणना की मांग उठाने के बाबत विधानसभा में कमिटी बननी चाहिए और इसका नेतृत्व मुख्यमंत्री खुद करें और प्रधानमंत्री से समय लेकर दिल्ली जाएं और ये सारी बातें उनके समक्ष रखें. 


उन्होंने कहा कि सदन में तो हमे सुना ही नहीं गया और ये मुद्दा शुरू से लालू यादव उठाते रहे हैं. ऐसे में जब मुख्यमंत्री को एतराज नहीं तो हम उनसे मिलकर ये बात कहना चाहते हैं कि वो प्रधानमंत्री से मिलने का समय लें और एक डेलिगेशन बिहार विधानसभा का यहां से जाए, जिसमें सभी दल के लोग शामिल हो वो प्रधानमंत्री से मिलकर बातचीत करे.


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