पटना: बिहार में जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा तूल पकड़ रहा. बिहार महागठबंधन के लगभग सभी दलों ने ओबीसी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की बात पर सहमति जताई है. रविवार को उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी और साफ कह दिया कि हमारी पार्टी केंद्र पर दबाव डालेगी कि आरक्षण को बढ़ाना चाहिए.


हमारी पार्टी केंद्र पर बनाएगी दबाव


कुशवाहा ने 50% से ज्यादा आरक्षण देने के मुद्दे कहा कि हमारी पार्टी केंद्र पर दबाव डालेगी कि ओबीसी आरक्षण को 27% से बढ़ाया जाए. यह केंद्र सरकार का विषय है. उनको सुनना चाहिए. अगर नहीं सुनती है तो हमारी पार्टी पहले तो दबाव बनाएगी. उन्होंने कहा कि केंद्र के स्तर पर ओबीसी का आरक्षण लागू करने के दौरान भी काफी कटौती की गई थी. कहा गया था कि 50 % से ज्यादा रिजर्वेशन देना संभव नहीं है.


ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण लागू होने पर 50 % वाला दायरा खत्म


आगे कुशवाहा ने कहा कि अब साल 2022 में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के लिए 10 % आरक्षण लागू किया गया है. इसका मतलब है कि आरक्षण का दायरा 50 % से ज्यादा बढ़ चुका है. अब जो ये बैरियर टूटा है तो भारत सरकार को भी 50 प्रतिशत वाला बैरियर तोड़ना चाहिए. देश भर में ओबीसी और बाकी के रिजर्वेशन को बढ़ाने की जरूरत है तो बढ़ाना चाहिए.


ट्वीट के जरिए जताई उम्मीद


उपेंद्र कुशवाहा ने एक ट्वीट के जरिए भी लिखा था कि उच्च न्यायपालिकाओं में मेरिट के आधार नियुक्त जज के रूप में महिलाएं सहित सभी शोषित, वंचित, ओबीसी व एससी-एसटी वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले. पांच वर्षों से इसके लिए हम सदन से सड़क तक आवाज उठा रहे हैं. अब केंद्रीय कानून मंत्री और सीजेआई भी इसकी हामी भर रहे हैं. बंद दरवाजा जल्द खुलने की उम्मीद है. वहीं आज जीतन राम मांझी ने भी ट्वीट के जरिए मुख्यमंत्री से इस मुद्दे को लेकर मांग की है. झारखंड के तर्ज पर यहां भी आरक्षण का दायरा बढ़ाएं जाने की मांग की है.


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