पटना: बिहार सरकार पर बीजेपी ने बड़ा हमला किया है. नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) ने शनिवार को सरकार को स्पष्ट संदेश दिया कि विपक्ष की भूमिका एक प्रहरी के रूप में सरकार को सजग करना है और आज वो इसकी शुरुआत कर रहे हैं. उन्होंने इशारों ही इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) पर निशाना साधते हुए कहा कि आप भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस है तो आशा है कि उनकी कथनी और करनी में भी अंतर नहीं होगा. इस दौरान विजय कुमार सिन्हा ने करोड़ों रुपये के घोटाले की भी बात कही.
विजय कुमार सिन्हा ने शनिवार को बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह बातें कहीं. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सदन में विशेष समिति की एक रिपोर्ट को उपस्थापित करने की मांग रखी, लेकिन उसे सदन पटल पर उपस्थापित नीहीं किया गया. उन्होंने कहा कि 19 मार्च 2021 को बिहार विधानसभा में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें उल्लेख था कि बिहार कौशल विकास मिशन कार्यक्रम के तहत वर्ष 2016 से युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए नालेज पार्टनर के रूप में एमकेसीएल पुणे का चयन किया गया.
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2020 में खोला गया पोर्टल
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि इस कंपनी को प्रशिक्षण के बाद युवाओं को रोजगार की जानकारी के लिए प्लेसमेंट पोर्टल का प्रावधान करना था, लेकिन कंपनी की तरफ से तीन वर्ष तक प्लेसमेंट पोर्टल की व्यवस्था नहीं की गई. पोर्टल की व्यवस्था तो नहीं हुई लेकिन कंपनी ने सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए. उन्होंने कहा कि मेरे श्रम संसाधन मंत्री काल में जनवरी 2020 में पोर्टल खोला गया. संयोग से यह विषय में सदन में उठा और सदस्यों ने इस पर विशेष कमेटी की मांग रखी. बिहार विधानसभा अध्यक्ष के रूप में मैंने इसकी जांच के लिए विशेष कमेटी बनाई थी.
मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा है मामला
विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि 12 अप्रैल 2021 को राजस्व पर्षद के अपर सदस्य ने श्रम संसाधन के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर नौ अप्रैल 2016 को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कौशल विकास के संबंध में की गई बैठक पर कई जानकारी मांगी है, जिसमें यह भी पूछा गया है कि क्या श्रम संसाधन विभाग को यह ज्ञात नहीं था कि विवेक सावंत जो मुख्यमंत्री आवास पर कौशल विकास का प्रस्तुतीकरण कर रहे थे, भुवनेश्वर स्थित सीबीआई न्यायालय में दर्ज करोड़ों रुपये के घोटालों के नामजद अभियुक्त थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सीधे तौर मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा मामला है और आज पूछा जा रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि इस बैठक में मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे. उन्होंने मुख्यमंत्री से प्रश्न करते हुए कहा कि आप भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं. जब रिपोर्ट सदन पटल पर रखने का आदेश दिया गया तो यह रिपोर्ट क्यों नहीं रखी गई. मुख्यमंत्री जी आप बरगलाने की जगह स्वतंत्र एजेंसी से इस पूरे मामले की जांच क्यो नही करा देते. पत्र जब जारी किया ही तो फिर लीपापोती का खेल क्यों?
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