पटनाः जेडीयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को मोदी कैबिनेट में इस बार मंत्री बनाया गया है. हालांकि कई बार यह सवाल उठते रहे हैं कि आखिर 2019 में जेडीयू ने हिस्सा क्यों नहीं लिया था? केंद्रीय मंत्री बनने के बाद पहली बार पटना आए आरसीपी सिंह ने ऐसे सवालों का जवाब दिया है. कहा कि हर बार की परिस्थिति एक जैसी नहीं होती है. 2019 और 2021 में फर्क है. उन्होंने कहा कि बिना नेता की सहमति के कोई सांसद केंद्र में मंत्री बन सकता है क्या? ऐसा होने लगा तो कल किसी पार्टी का एमपी प्रधानमंत्री के पास जाएगा और कहेगा कि हमको मंत्री बना दीजिए.


आरसीपी सिंह ने कहा कि, “इस पार्टी (जेडीयू) में एक नेता है और वह हैं नीतीश कुमार. बिना उनसे पूछे आजतक कोई काम नहीं किया मैंने. आज 23 साल हो गए नीतीश कुमार के साथ काम करते हुए. उनका कोई एक निर्णय बता दिया जाए जो नीतीश कुमार से पूछे बिना किया हो मैंने? किसी भी चीज की प्रक्रिया है और परंपरा है. हमलोग सहयोगी दल हैं. उन्होंने हमारा साथ मांगा और नेता से बात हुई सहमति बनी जिसके बाद हमने शपथ ली.”


बीजेपी के 303 एमपी, नहीं थी हमारी जरूरत


मीडिया की ओर से कई बार किए गए एक सवाल पर आरसीपी सिंह ने कहा कि कई बार पूछा जाता था कि शपथ तो 2019 में ले लेना चाहिए था, अब क्यों ले रहे हैं? लेकिन यह बताया जाए कि 2019 और 2021 में फर्क है या नहीं? आज केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. वहां बीजेपी के 303 एमपी हैं. जेडीयू की जरूरत वहां नहीं है, लेकिन ये प्रधानमंत्री का बड़प्पन और दरियादिली है.


2019 का ही जिक्र करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि उस समय हमारे 71 विधायक थे और 2021 में 41 हो गए. यानी सीधे 30 विधायक कम हो गए. अगर ऐसे में केंद्र में शामिल नहीं होइएगा तो लोग कहेंगे कि पता नहीं क्या है यहां (जेडीयू में). आज हम केंद्र में भी और राज्य में भी सम्मिलित हैं, इसलिए इसलिए दोनों सरकारें मजबूती से चलेंगी.


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