आरा: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में अब महज कुछ ही दिन बाकी हैं. जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे चुनावी माहौल और भी दिलचस्प होते जा रहा है. भोजपुर जिले में इसबार प्रत्याशियों के बीच मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है क्योंकि यहां दो सीटों पर चुनावी दंगल में एक ही परिवार के दिग्गज आमने-सामने हैं. भोजपुर के संदेश सीट पर भाभो(छोटे भाई की पत्नी) का मुकाबला भैंसुर(पति के बड़े भाई) से होने वाला है. वहीं, शाहपुर सीट पर देवरानी-जेठानी चुनावी दंगल में दो-दो हाथ करती हुई दिखाई देंगी.


परिवार वाले ही प्रतिद्वंद्वी बन खड़े हैं


बता दें कि भोजपुर जिले में कुल 7 विधानसभा सीट हैं. लेकिन 2 सीटों पर लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है क्योंकि इन सीटों पर एक-दूसरे के सामने परिवारवाले ही प्रतिद्वंद्वी बनकर खड़े हैं. जिले के संदेश विधानसभा से लालू यादव की पार्टी ने किरण देवी को टिकट दिया है, वहीं दूसरी ओर सीएम नीतीश ने बिजेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा है, जिन्होंने हाल ही में आरजेडी से पाला बदलकर जेडीयू की सदस्यता ली थी.


बिजेंद्र यादव का सीधा मुकाबला अपने छोटे भाई की पत्नी किरण देवी से है, जो दलित नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोपी राजद विधायक अरुण यादव की पत्नी हैं. आरजेडी विधायक अरुण यादव तकरीबन एक साल से पुलिस की आंख में धूल झोंककर फरार हैं. कोर्ट ने भी इस विधायक को फरार घोषित कर दिया है. हालांकि तेजस्वी यादव ने इस बाहुबली विधायक की पत्नी किरण देवी पर भरोसा जताते हुए चुनावी अखाड़े में अपने भैसुर के खिलाफ उतारा है.


2015 में बीजेपी उम्मीदवार को दी थी मात


पिछली बार साल 2015 के चुनाव में संदेश सीट से आरजेडी के उम्मीदवार अरुण यादव ने बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह टाइगर को हराया था. इस चुनाव में महागठबंधन के उम्मीदवार के साथ मुकाबला कर रहे संजय सिंह टाइगर 25427 वोटों से हार गए थे. हालांकि इसबार महागठबंधन की ओर से किरण देवी नई उम्मीदवार हैं. जबकि उनके भैंसुर विजेंद्र यादव 2005 में इस सीट से विधायक चुनकर आये थे. 2005 में इन्होंने 10 हजार से भी अधिक वोटों से भाजपा उम्मीदवार संजय टाइगर को हराया था.


फिर एक बार विधायक बनने का है मौका


एनडीए के उम्मीदवार विजेंद्र यादव के पास इसबार अपने भाई से 10 साल पुराना बदला लेने का वक्त है क्योंकि 2010 के विधानसभा चुनाव में विजेंद्र यादव अपने छोटे भाई और राजद के बाहुबली विधायक अरुण यादव के कारण हार गए थे. दोनों भाई के बीच लड़ाई में 2010 में संजय टाइगर ने बाजी मार ली थी. संजय टाइगर महज 6 हजार वोट से जीते थे जबकि सीटिंग विधायक विजेंद्र यादव तीसरे स्थान पर चले गए थे क्योंकि इनके छोटे भाई अरुण यादव को साल 2010 के चुनाव में 23 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जिसके कारण वह दूसरे स्थान पर थे. एक दशक बाद विजेंद्र यादव के सामने भाई की पत्नी से बदला लेकर विधायक बनने का मौका है.


देवरानी-जेठानी हैं आमने-सामने


भोजपुर जिले के शाहपुर सीट पर भी काफी दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. शाहपुर से इसबार देवरानी-जेठानी चुनावी दंगल में आमने-सामने हैं. बीजेपी के दिवंगत नेता विशेश्वर ओझा की पत्नी शोभा देवी अपने देवर भुअर ओझा की पत्नी मुन्नी देवी के सामने चुनावी अखाड़े में हैं. भाजपा से टिकट की आस लगाए बैठी शोभा देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दिया है. इनके पति विशेश्वर ओझा भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष थे, वर्चस्व की लड़ाई में दिनदहाड़े उनकी हत्या कर दी गई थी.


बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहीं एनडीए प्रत्याशी मुन्नी देवी का मुकाबला महागठबंधन के उम्मीदवार राजद विधायक राहुल उर्फ मंटू तिवारी से है, जो राजद के दिग्गज नेता शिवानंद तिवारी के बेटे हैं. पिछली बार साल 2015 के चुनाव में इन्होंने विशेश्वर ओझा को 14570 वोटों से हराया था, बाद में जिनकी हत्या कर दी गई थी. विशेश्वर ओझा को कुल 54745 वोट मिले थे, जबकि राहुल तिवारी को 69315 वोट प्राप्त हुए थे. इन दोनों के अलावा बाकी कोई तीसरा उम्मीदवार दूर-दूर तक नहीं था.


2010 में हासिल की थी जीत


2010 विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर मुन्नी देवी इस सीट से विजयी हुई थीं. इन्होंने आरजेडी के धर्मपाल सिंग को 9 हजार से भी अधिक वोटों से हराया था. इस चुनाव में बहुजन समाजवादी पार्टी और जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवारों ने मिलकर 20 हजार से अधिक वोट काटा था.


2005 के विधानसभा चुनाव में देवरानी मुन्नी देवी राजद के दिग्गज नेता और आरजेडी विधायक राहुल तिवारी के पिता शिवानंद तिवारी को चुनावी मैदान में धूल चटा चुकी हैं. भाजपा के टिकट पर मुन्नी देवी ने राजद उम्मीदवार शिवानंद तिवारी को महज 2807 वोटों से हराया था. तब लोजपा के टिकट पर धर्मपाल सिंह लड़े थे, जिन्होंने कुल 18,766 वोट काटा था.


सवर्ण उम्मीदवारों का रहा है दबदबा


भोजपुर का यह सीट सवर्ण बहुल क्षेत्र है. कई दशकों से यहां सवर्ण उम्मीदवारों का दबदबा रहा है. इसबार भी महागठबंधन और एनडीए की ओर से सवर्णों को ही टिकट दिया गया है. ऐसे में डर है कि भाजपा उम्मीदवार मुन्नी देवी का खेल उनकी जेठानी शोभा देवी बिगाड़ सकती हैं क्योंकि चुनावी मैदान में देवरानी के सामने जेठानी खड़ी हैं.