पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने गुरुवार की घोषणा पत्र जारी की, जिसमें बिहार के विकास के लिए 1 लक्ष्य, 5 सूत्र और 11 संकल्प की चर्चा की गई है. इस संबंध में घोषणा पत्र समिति के संयोजक भाजपा नेता ऋतुराज सिन्हा ने कहा ‘आत्मनिर्भर बिहार’ एक नारा नहीं बल्कि भविष्य के बिहार की परिकल्पना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने जिस आत्मनिर्भर भारत की सोच रखी है, उसको साकार करने के लिए यह बेहद जरूरी है कि एक नयी ऊर्जा के साथ, उन बड़े राज्यों में पहल की जाए, जिनमें उस तरीके से विकास नहीं हो पाया, जिसका वह हकदार था.
उन्होंने कहा कि देश की 11 फ़ीसदी जनता बिहार वासी है. ऐसे में आत्मनिर्भर भारत अभियान का आगाज बिहार से होना - स्वाभाविक भी है और न्यायसंगत भी. भाजपा का ‘आत्मनिर्भर बिहार - संकल्प पत्र’, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बिहार को दी जा रही प्राथमिकता का सबूत है.
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने 45 साल, कांग्रेस शासन में सौतेला व्यवहार देखा है. राजद सरकार का भ्रष्टाचार, आतंक और जातिवाद की राजनीति के चरम सीमा को भी झेला है. सही मायने में, 2005 के बाद ही “विकास” बिहार की राजनीति के अजेंडे का केंद्र बना और इसका परिणाम साफ है. 2005 में बिहार राज्य की जीडीपी मात्र 77,000 करोड़ की थी. आज (वितीय वर्ष 20-21 अनुमानित) 6 लाख 85 हज़ार करोड़ की है. 15 वर्षों में 10 गुणा.
वादा नहीं, आत्मनिर्भर बिहार का रोडमैप है संकल्प पत्र
भाजपा का 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए बना संकल्प पत्र चुनावी वादा भर नहीं, मजबूती के साथ बढ़ते आज के बिहार को और अधिक मजबूती देने का एक रोड मैप है. जिसे साकार करने के लिए सर्व समाज के विकास की सोच के साथ पाँच सूत्र के आधार पर तैयार किया गया है और इन पाँच सूत्रों के अंतर्गत, 19 लाख रोजगार, स्वरोजगार सृजन और 1 करोड़ गरीब महिलाओं को उध्यमशीलता से जोड़कर स्वावलंबी बनाने लिए 11 स्पष्ट प्रोग्राम निर्धारित किए गए हैं.
नीति, नीयत और नेतृत्व की विश्वसनीयता
2020 के विधान सभा चुनाव में एक तरफ नीयत, नीति और नेतृत्व है - जो जांचा परखा है, तो दूसरी तरफ अनुभव का अभाव, हवाबाजी और विश्वसनीयता की कमी, जिसने अपनी पढ़ाई 10वीं से पहले छोड़ दी हो, जीवन में एक दिन भी मेहनत की कमाई अर्जित ना की हो, कभी एक रुपये का टैक्स नहीं भरा हो, ऐसे तेजस्वी यादव, वादे तो बहुत कर रहे हैं पर उन्होंने वादे पूरे करने की रणनीति पर चुप्पी साध रखी है. बात साफ़ है - उनके पास बिहार के डेवेलप्मेंट का स्पष्ट प्लान नहीं है. चुनावी मौसम में खोखले वादों की झड़ी लगा रखी है. यह बिहार की जनता का दुर्भाग्य है और विपक्ष में नेतृत्व की शून्यता का प्रतीक है.