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Bihar Polls: झंझारपुर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व मंत्री से टकराएंगे CPI नेता, यहां समझें- इस सीट का चुनावी समीकरण

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के पूर्व मंत्री सह प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जगरनाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा ने भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ा था.

मधुबनी: बिहार के मधुबनी में बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण यानि 7 नवंबर को मतदान होना है. तीसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है. ऐसे में जिले के झंझारपुर सीट से भाजपा के पूर्व मंत्री सह प्रदेश उपाध्यक्ष नीतीश मिश्रा और महागठबंधन उम्मीदवार सीपीआई के रामनारायण यादव ने अपना पर्चा दाखिल कर दिया है. नामांकन दाखिल करने के बाद दोनों प्रत्याशी जोर शोर से चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं.

एनडीए प्रत्याशी नीतीश मिश्र का कहना है कि अगर जनता फिर सेवा का मौका देगी तो झंझारपुर की सेवा करने का कोई मौका नहीं छोड़ूंगा. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन उम्मीदवार रामनारायण यादव ने नामांकन के बाद कहा कि पिछली बार के चुनाव में राजद प्रत्याशी ने ही यहां से जीत दर्ज की थी. इसबार महागठबंधन की ओर से मुझे प्रत्याशी बनाया गया है. मुझे उम्मीद है कि झंझारपुर की जनता मुझे अपना आशीर्वाद देकर यहां का विधायक बनाएगी.

पिछली बार नीतीश मिश्रा हार गए थे चुनाव

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा के पूर्व मंत्री सह प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जगरनाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा ने भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ा था. 2015 के विधानसभा चुनाव में कुल 18 प्रत्याशी मैदान में थे, जिनके लिए 1,57,944(54%) मतदाताओं ने मतदान किया था. लेकिन उन्हें राजद के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे गुलाब यादव ने मात्र 834(.53%) वोट से चुनाव में पटखनी दी थी.

2015 के चुनाव में जहां राजद के गुलाब यादव को झंझारपुर के कुल वोट 64,320(40.72%) वोट मिले थे, वहीं दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के नीतीश मिश्रा को 63,486(40.20%) वोट मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश मिश्रा के हार की मुख्य वजह चीनी मिल नहीं खुलवा पाना, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तख्तापलट की कोशिश और अगड़ी जाती के वोटर का उनके प्रति पूरी तरह लामबंद नहीं होना कहा गया.

लेकिन अंदरखाने में ये खबर काफी चर्चा में रही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गन्ना विकास मंत्रालय मिलने के बाद भी चीनी मिल न खुलवापाना बड़ी वजह रही. अगर मधुबनी और दरभंगा जिले में अवस्थित लोहट, रैयाम और सकरी चीनी मिल खुल जाती तो इस पूरे इलाके के लोगों की तकदीर बदल जाती. लेकिन नीतीश मिश्रा ऐसा नहीं करवा पाए।.उसके बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने इनकी साख गिर गयी थी. उसके बाद जीतन राम मांझी की कैबिनेट में शामिल होकर उन्होंने नीतीश कुमार के सामने अपनी बची खुची साख भी गवां दी, जिसका खमियाजा में उन्हें चुनाव में हार का मुँह देखना पड़ा था.

इस बार सीपीआई के खाते में चली गयी है यह सीट

हालांकि, इस बार ये सीट महागठबंधन में सीपीआई के खाते में चली गयी है. महागठबंधन में राजद ने अपने वर्तमान विधायक गुलाब यादव का टिकट काट कर यह सीट सीपीआई के लिए छोड़ी है. झंझारपुर में सीपीआई की तरफ से एक स्थानीय जुझारू नेता राम नारायण यादव को टिकट दिया गया है, जिनकी पकड़ काफी मजबूत है. राम नारायण यादव की छवि एक जमीन से जुड़े और संघर्ष करने वाले नेता की रही है जिसने झंझारपुर और अगल-बगल के इलाके में आंदोलन कर सीपीआई को जीवित रखा है. वहीं सीपीआई के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए कन्हैया कुमार के आने की भी चर्चा गरम है.

क्या महागठबंधन का कारनामा दोहरा पाएगी सीपीआई?

झंझारपुर में ये चर्चा आम है कि कहीं ऐसा तो नहीं की भाजपा किसी भी हाल में नीतीश मिश्रा के लिए यह सीट चाहती है? जिसके लिए पार्टी ने अपने उपमुख्यमंत्री को ही मैदान में हवा बनाने के लिए उतारना पड़ा जिताने के लिए? यहाँ यह देखना दिलचस्प होगा कि पिछली बार जिस समीकरण और गठबंधन के आधार पर राजद ने झंझारपुर में भाजपा को पटखनी दी थी, क्या दोबारा वैसा ही कारनामा सीपीआई दोहरा पाएगी?

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