पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने अपने कोटे की सीटों में से लगभग 20 फीसदी महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है. इसे राज्य में पूर्ण शराबबंदी जैसे विभिन्न कदमों के जरिये महिला सशक्तीकरण पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिये गए जोर से जोड़कर देखा जा रहा है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में जनता दल (यूनाइटेड) को 122 सीटें मिली थीं जिसमें से उसने सहयोगी जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को सात सीटें दी हैं. इसके बाद जेडीयू ने 115 सीटों के लिये अपने प्रत्याशियों की सूची बुधवार को जारी कर दी. जेडीयू की ओर से जारी 115 प्रत्याशियों की सूची में 22 महिलाएं हैं.


इस सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम पूर्व मंत्री मंजू वर्मा का है, जिन्हें बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर से जेडीयू का टिकट मिला है. मंजू वर्मा कुछ साल पहले तक सामाजिक कल्याण मंत्री थीं. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से कथित तौर पर उनके पति चंद्रेश्वर वर्मा की नजदीकी होने के आरोपों के बाद वह विवादों में घिर गई थीं. सीबीआई ने चेरिया बरियारपुर स्थित उनके आवास पर छापा भी मारा था. इसके कारण नीतीश कुमार नीत प्रदेश सरकार को काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ा था और वर्मा को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा था. हालांकि, जेडीयू ने उन्हें इस बार फिर से टिकट दे दिया है.


कुछ महिला उम्मीदवार के पति आपराधिक पृष्ठभूमि के


इसके अलावा भी कुछ महिला उम्मीदवार ऐसी हैं जिनके पति आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं. पार्टी ने आपराधिक छवि वाले लोगों से दूरी दिखाने की कोशिश के तहत उनकी पत्नी को टिकट दिया है. ऐसी ही एक उम्मीदवार मनोरमा देवी हैं, जो गया जिले से विधान पार्षद हैं. इनके दिवंगत पति बिंदेश्वरी प्रसाद यादव इलाके के बाहुबली माने जाते थे और उनके पुत्र के चार साल पहले रोड रेज के मामले में शामिल होने की बात सामने आई थी. इसके कारण लोगों में उपजे रोष के बाद मनोरमा देवी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. अब मनोरमा देवी गया के शेरघाटी से पार्टी की आधिकारिक उम्मीदवार हैं.


हालांकि, डुमरांव जैसे स्थानों पर पार्टी के उम्मीदवारों के चयन में साफ छवि को तवज्जो दी है. डुमरांव से पार्टी ने बाहुबली विधायक ददन पहलवान को टिकट नहीं दिया है. इनके स्थान पर जेडीयू ने अंजुम आरा को टिकट दिया है, जो पार्टी की प्रदेश प्रवक्ता हैं और उनकी छवि साफ बतायी जाती है.


नीतीश कुमार ने मुफ्त साइकिल जैसे कदम उठाए थे


नीतीश कुमार ने 2005 में मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद अपने पहले कार्यकाल में स्कूली छात्राओं के लिये मुफ्त पोशाक और मुफ्त साइकिल जैसे कदम उठाए थे, जिसकी काफी चर्चा हुई थी. मुख्यमंत्री के तौर पर लगभग डेढ़ दशक के कार्यकाल के दौरान भले ही नीतीश राजनैतिक गठबंधन बदलते रहे हैं, लेकिन उनका महिला समर्थक रुख जस का तस बना रहा है. उन्होंने पंचायतों और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं को आरक्षण देने जैसे कदम भी उठाए.


कुमार ने 2015 में सत्ता में आने के बाद अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की. यह वादा उन्होंने राज्य की महिलाओं से 2015 के विधानसभा के चुनाव में किया था. उन्होंने राज्य में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ भी अभियान चलाया. अगले पांच साल में किये जाने वाले कार्यों की जो रूपरेखा उन्होंने तैयार की है उसे 'सात निश्चय भाग-2' नाम दिया गया है. इसमें भी राज्य में महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये उठाए जाने वाले कई कदमों का जिक्र है.


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