Bihar Polls: किशोर कुमार मुन्ना ने लवली आंनद पर साधा निशाना, कहा- जनता देगी करारा जवाब
किशोर कुमार मुन्ना ने महागठबंधन उम्मीदवार लवली आनंद पर बिना नाम लिए जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि जो पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता नहीं हैं, उन्हें जनता इस बार करारा जवाब देगी.
सहरसा: बिहार के सहरसा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार किशोर कुमार मुन्ना ने राजद से चुनाव लड़ रहीं पूर्व सांसद लवली आनंद पर बिना नाम लिए जबरदस्त हमला किया है. मालूम हो कि किशोर कुमार मुन्ना बीजेपी से टिकट लेकर सहरसा से चुनाव लड़ने वाले थे, लेकिन बीजेपी ने उनको अपना उम्मीदवार नहीं बनाया और टिकट सहरसा के आलोक रंजन को दे दिया.
टिकट नहीं मिलने के बाद मुन्ना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया और चुनावी मैदान में निर्दलीय उतर गए. उन्होंने क्षेत्र भ्रमण के दौरान बताया कि मैं चुनाव नहीं लड़ रहा हूँ, जनता के आदेश पर मैं मैदान में उतरा हूँ. यह लड़ाई जनता के हवाले है और यह लड़ाई जनता लड़ेगी. जो धनबली हैं, बाहुबली हैं जिसमें नैतिकता नहीं है, जो दल बदलू हैं, पैसे के बल पर चुनाव लड़ने आए हैं, उनको जनता जवाब देगी. किसी के खिलाफ मेरी लड़ाई नहीं, जनता के सकारात्मक विचार का मैं उम्मीदवार हूँ.
किशोर कुमार मुन्ना ने महागठबंधन उम्मीदवार लवली आनंद पर बिना नाम लिए जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग हैं जो पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता नहीं है, लेकिन टिकट लेकर सीधे मैदान में आ जाते हैं. वर्ष 2000 में एनडीए से चुनाव लड़ा हार गया, उसके बाद दो मिनट के लिए सहरसा वासी को देखने नहीं आया और न ही सहरसा की समस्या के लिए संघर्ष किया.
वहीं, बीजेपी के आलोक रंजन पर हमला करते हुए उन्होंने बताया कि 2010 में संजीव झा जैसे उम्मीदवार का टिकट काट कर पैसे वाले को टिकट दे दिया गया. हालांकि, उस में वो जीत गये, लेकिन 2015 के चुनाव में जनता ने उनका हिसाब दे दिया और रिकार्ड तोड़ मतों से वह उम्मीदवार पूरे बिहार में पराजित हुए.
किशोर कुमार मुन्ना ने बताया कि मैं बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विचार को देखकर गया था. मैं समझता हूं कि बीजेपी भारत माँ की तरह है. लेकिन बिहार के बीजेपी नेता पूरी तरह इनको बर्बाद करने के पीछे तुले हुए हैं. बीजेपी के सर्वे में मैं पूरी तरह खड़ा उतर रहा था, बावजूद इसके धनबल में इतनी ताकत है कि किसी का टिकट कट जाता है. पूरे देश में बीजेपी अपने दम पर सरकार बना लेती है. लेकिन बिहार में बैसाखी के भरोसे चल रही है.
उन्होंने बताया कि कुछ लोग अपनी जीत दर्ज कर पैसा कमाते हैं और व्यापार चलाते हैं. जब टिकट नहीं मिलता है, तो व्यापार में मशगूल हो जाते हैं, और फिर पांच वर्ष बाद धनबल पर टिकट खरीद लेते हैं. इस बार की लड़ाई जनता लड़ रही है और जनता अपने बेटा, अपने भाई को चुनेगी.