पटना: क्रिकेट की पिच और राजनीति में कब क्या हो जाए कहना मुश्किल है. जैसे क्रिकेट में लास्ट बॉल पर आकलन करना मुश्किल है वैसे हीं राजनीति में कब कौन किसके खेमे में चला जाए इसका भी कोई भरोसा नहीं रहता. हाल के दिनों में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आरएलएसपी के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के मुलाकात ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि सियासत में कुछ भी संभव है हालांकि जेडीयू के साथ आरएलएसपी के विलय की बात उपेंद्र कुशवाहा पहले ही खारिज कर चुके हैं लेकिन आरएलएसपी सूत्रों का दावा है कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के साथ आरएलएसपी के सम्मानजनक एलायंस पर चर्चा जरूर हो रही है.
आरएलएसपी की विश्वस्त सूत्रों की माने तो उपेंद्र कुशवाहा अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को किसी भी कीमत पर निराश नहीं करना चाहते हैं क्योंकि कुशवाहा का मानना है कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती से खड़ा करने में सब ने पूरी मेहनत की है इसलिए एनडीए में आरएलएसपी के सम्मान जनक वापसी की उम्मीद की जा सकती है. इस विषय पर हाल के दिनों में उपेंद्र कुशवाहा ने कुछ महत्वपूर्ण नेताओं से इस बात पर चर्चा भी की है.
बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ जिस तरह भूमिका निभाई है उससे नाराज जेडीयू भी यही चाहती है कि उपेंद्र कुशवाहा राजग का हिस्सा बने इससे जेडीयू को भी प्रदेश की सियासत में लव-कुश समीकरण समेत पिछड़े वर्ग की राजनीति को मजबूत कर उसे साधने में मदद मिलेगी क्योंकि जेडीयू के पास उपेंद्र कुशवाहा जैसे कद्दावर कुशवाहा बिरादरी का कोई भी बड़ा नेता नहीं है.
क्या एनडीए से बाहर होगी एलजेपी
बात करें अगर केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार की तो विस्तार के क्रम में यदि एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान को जगह नहीं मिलती है तो यह माना जाएगा कि जेडीयू के दबाव में एलजेपी अब एनडीए का हिस्सा नहीं रहेगी हालांकि अभी तक ऐसी कोई सियासी हलचल नहीं है. लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद जेडीयू ने साफ संकेत दे दिए हैं कि विधानसभा चुनाव में एलजेपी की भूमिका को बीजेपी को देखना चाहिए और उस पर एक्शन लेना चाहिए. बताते चलें कि चुनाव में जेडीयू की जो सीटें कम हुई उसके लिए एलजेपी को ही जिम्मेदार माना जा रहा है.