JDU Reaction on Reservation: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार इसकी मांग कर रहे हैं बिहार में बढ़े हुए आरक्षण (65 फीसद आरक्षण) को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए. इसको लेकर अब जेडीयू की ओर से प्रतिक्रिया आई है. मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आज की तिथि में जब यह कानून ही नहीं है तो 9वीं अनुसूची मे शामिल करने की बात कैसे की जा सकती है? जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में मंगलवार (03 सितंबर) को विजय कुमार चौधरी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद थे.


विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जब इस कानून को पास किया गया था तो तत्काल मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अनुरोध भी कर दिया था. सरकार इस मामले में कदम उठा चुकी है. विपक्ष पर हमला करते हुए विजय कुमार चौधरी ने कहा कि हमको आश्चर्य होता है कि जो लोग कहते हैं कि इस कानून को 9वीं अनुसूची में डाला जाए तो किस कानून को डाला जाए? आज तो वो कानून ही रद्द है. तो सबसे पहले समझने की बात है. 


'आज के समय में रद्द किया जा चुका है कानून'


मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जो जातीय गणना हुई उसमें जो आंकड़े आए उसके आधार पर पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित समाज के लोगों के लिए बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में आरक्षण की सीमा बढ़ाई. इसे सरकार ने लागू भी कर दिया. इससे लोगों को लाभ भी मिलने लगा. वहीं जिन लोगों को यह पसंद नहीं आया उन लोगों ने कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका लगाई. कोर्ट ने उस कानून को निरस्त कर दिया. इसका अर्थ होता है कि वह कानून ही रद्द हो गया. आज के समय में वो कानून रद्द किया जा चुका है. 


'जो कानूनी विकल्प थे उसके हिसाब से गए सुप्रीम कोर्ट'


विजय चौधरी ने कहा कि सरकार ने ईमानदारी से बढ़े हुए आरक्षण को लागू किया था इसलिए तत्काल उसी वक्त जो कानूनी विकल्प थे उसके हिसाब से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई. हम लोगों का मानना है कि ये जो बढ़ा हुआ आरक्षण है उसके अनुसार लोगों को लाभ मिलना चाहिए. बिहार सरकार इस उम्मीद में है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा. जब यह कानून फिर से बहाल हो जाएगा तो हम लोग नौवीं अनुसूची में शामिल करने की बात करेंगे. 


आगे विजय चौधरी ने कहा कि जातीय गणना किसके नेतृत्व में हुई ये भी सभी लोग जान रहे हैं. सभी दलों की सहमति थी, लेकिन पहल और निर्णय सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार ने की है. सबने विधानसभा में समर्थन किया था, लेकिन सोच तो नीतीश कुमार की थी. ये भी सब लोगों को स्वीकार करना चाहिए. 


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