पटनाः आरजेडी (RJD) के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwari) ने कहा कि कन्हैया कुमार (Kanhaiya Kumar) टेलिविजन चैनल के डार्लिंग हैं. भाषण देने के मामले में और बात रखने की कला में वो पारंगत हैं. उन्होंने बेगूसराय से चुनाव लड़कर बीजेपी (BJP) को लाभ पहुंचाया है. शिवानंद तिवारी शुक्रवार को एबीपी न्यूज के सवालों का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की तुलना कन्हैया कुमार से नहीं हो सकती. भाषण देने में कन्हैया वीर हो सकते हैं, लेकिन चुनाव में वोट का महत्व.
शिवानंद ने कहा कि कांग्रेस के लोग राहुल गांधी से भी ज्यादा तेजस्वी यादव की डिमांड करते हैं. कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी, राहुल गांधी ने कहां नहीं भाषण दिया, लेकिन नतीजा देख लें आप. कन्हैया कुमार यूनिवर्सिटी का चुनाव लड़े हैं, और ऐतिहासिक जवाबदेही की बात करते हैं. सीपीआई के लोग भी कन्हैया कुमार में भविष्य देख रहे थे. अटल बिहार वाजपेयी के जैसा किसने आजतक भाषण दिया? उस समय साइनिंग इंडिया का नारा चल रहा था फिर भी वह हार गए.
‘कन्हैया कुमार से कांग्रेस को हो सकता है फायदा’
कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने पर नफा-नुकसान के सवाल पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस को लगा होगा फायदा इसलिए इतने ताम-झाम से लेकर उन्हें आई है. खुद राहुल गांधी उनके साथ गए थे भगत सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण करने के लिए. उन्होंने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धु वाल प्रकरण नहीं हुआ रहता तो राहुल गांधी भी कन्हैया के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में बैठते.
‘जो बीजेपी के खिलाफ बोलेगा उसपर देशद्रोह का आरोप’
शिवानंद तिवारी ने कहा कि आरजेडी चाहता है कि कांग्रेस पार्टी ताकतवर हो. कांग्रेस की पूरे देश में छाप है. कन्हैया कुमार पर लगे देशद्रोह के आरोप पर शिवानंद तिवारी ने कहा कि देश में लोकतंत्र पर खतरा है. आज जो भी बीजेपी के खिलाफ बोलेगा उसपर देशद्रोह का आरोप लग जाता है. आगे कहा कि कन्हैया की वजह से आरजेडी और कांग्रेस में कहीं कोई दिक्कत नहीं. लालू यादव ने ही कहा था कि सोनिया गांधी देश की बहू है. कन्हैया कुमार राष्ट्रीय नेता हैं और उनकी तुलना बिहार से या बेगूसराय से करने का कोई मतलब नहीं है.
उधर तेजस्वी की ओर से मुख्यमंत्री को लिए गए पत्र मामले पर कहा कि कमला प्रसाद सिन्हा ने कहा था कि अगर बिहार सरकार चिट्ठियों का जवाब देना शुरू कर दे तो मान लें कि बिहार सरकार की कार्यप्रणाली ठीक है. तेजस्वी की चिट्ठी जो मुख्यमंत्री के पास गई उसपर मुख्यमंत्री ने कह दिया कि उनकी चिट्ठी नहीं मिलती, बस अखबार में छपती है. उसी के अगले दिन तेजस्वी ने दिखा दिया कि चिट्ठी रिसीव हुई है.
शिवानंद ने कहा कि आपको (नीतीश कुमार) तो पता करना चाहिए कि तेजस्वी की चिट्ठी आई है कि नहीं. आई है तो आपके सामने पेश क्यों नहीं हुई. अगर नहीं आई तो कहते कि अखबार में छपवाने के लिए चिट्ठी लिखी जा रही है. चिट्ठी के जवाब देने का सिलसिला खत्म हो चुका है. यह चिंताजनक की बात है. पुरानी जो पीढ़ी है उसको देखें, गांधी, सरदार पटेल, जवाहर लाल को पढ़िए. चिट्ठियों से कितनी बातें होतीं थीं. ये लोग आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. सामने बैठकर बात नहीं होती थी. चिट्ठियों के सहारे भी बात होती थी और उससे समाधान भी निकलता था. डेमोक्रेटिक पॉलिटिक्स में ये एकदम जरूरी है.
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