Bihar RJD Will Protest: तेजस्वी यादव के 24 महीने के कार्यकाल में बढ़ाई गई 65% आरक्षण सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आरजेडी बिहार में धरना प्रदर्शन करेगी. ये धरना प्रदर्शन तमाम जिलों के मुख्य चौराहों पर बने महात्मा गांधी और बाबा साहब भीमराव अम्बेदकर की प्रतिमा के समक्ष किया जाएगा. आरजेडी ने इसे लेकर बुधवार (20 अगस्त) के अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट भी किया है. 

 

आरजेडी ने पोस्ट कर क्या लिखा?

 

आरजेडी ने अपने पोस्ट में लिखा है- "देश भर में जातिगत जनगणना कराने और महागठबंधन सरकार के तेजस्वी यादव के 24 महीने के कार्यकाल में बढ़ाई गई 9% आरक्षण सीमा को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर बिहार सरकार के खिलाफ एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा."

 





 


बता दें कि जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी तब सीएम नीतीश कुमार ने जातीये सर्वे कराया था. सर्वे के बाद सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी गई. इस बढ़ी हुई आरक्षण सीमा के साथ बिहार में आरक्षण 65 प्रतिशत हो गया है.



जिसे महागठबंधन सरकार ने 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की थी. तब नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू ने भी इस पर पुरजोर तरीके से आवाज उठाई थी. जेडीयू ने भी मांग की थी 65 प्रतिशत आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए. अब जब बिहार में सरकार बदल गई और एनडीए स्ता में आई तो आरजेडी ने आरोप लगाया कि नीतीश सराकर ने इस मांग को ठंडे बस्ते में डाल दिया है.



सुप्रीम कोर्ट भी पटना हाईकोर्ट के फैसले से सहमत



उधर पटना उच्च न्यायालय ने भी सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के बिहार सरकार के फैसले पर रोक लगा दी. पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा, जिसके बाद 65 प्रतिशत आरक्षण को सरकार के लिए 9वीं अनुसूची में शामिल करना मुश्किल हो गया. सरकार का कहना है इस पर अभी फाइनल फैसला नहीं आया है, वहीं विपक्ष का कहना है कि बिहार सरकार ने अदालत के सामने अपने पक्ष को सही तरीके से नहीं रखा, जिस कारण इस पर रोक लग गई.