आरा: बिहार के आरा में आरटीआई कार्यकर्ता के हत्या के मामले में नगर पंचायत अध्यक्ष समेत 2 अपराधियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. इस मामले में जिले के चतुर्थ अपर जिला और सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव ने मंगलवार को जगदीशपुर नगर पंचायत अध्यक्ष समेत दो आरोपियों को दोषी पाते हुए जेल भेज दिया. अब इस मामले में 6 नवम्बर को फैसला आएगा .


मामला भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना इलाके का है, जहां 4 साल पहले नगर स्थित वार्ड नंबर-11 बिशेन टोला निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह की हत्या 2016 में 9 जून को अपराधियों द्वारा गोलियों से भूनकर की गई थी. इस चर्चित हत्याकांड के मामले में भोजपुर के चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव की कोर्ट ने जगदीशपुर नगर पंचायत अध्यक्ष और उसके एक साथी को दोषी पाया है. इन दोनों को जेल भेज दिया गया है. इन्हें सजा सुनाने के लिए कोर्ट ने आगामी 6 नवंबर की तारीख मुकर्रर की है.


विशेष न्यायाधीश त्रिभुवन यादव की कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोपी मो.सद्दाम को आरोप मुक्त करते हुए रिहाई का आदेश भी दिया है. अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक नागेश्वर दुबे ने बताया कि 9 जून 2016 को जगदीशपुर थानान्तर्गत अखोरी मुहल्ला के मृत्युंजय सिंह को उनके घर के कुछ दूरी पर गोली मारकर हत्या कर दिया गया था.


घटना को लेकर चुन्नू महतो समेत तीन को अभियुक्त बनाया गया था. दोनों पक्ष के बहस सुनने के बाद चतुर्थ अपर जिला और सत्र न्यायाधीश श्री यादव ने आरोपी चुन्नू महतो को भादवि की धारा 302 और 27 आर्म्स एक्ट और आरोपी मुकेश को आईपीसी की धारा 302/120 (बी) के तहत दोषी करार देते हुए जेल भेज भेजने का फैसला सुनाया है.


आपको बता दें कि लगभग 4 साल पहले 2016 में 9 जून को अपराधियों ने भोजपुर जिले के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के बिशेन टोला निवासी आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह की हत्या कर दी थी. मृत्युंजय सिंह गुरुवार की उस रात को दवा लेकर बाइक पर घर लौट रहे थे कि तभी पहले से ही घात लगाए बैठे करीब आधा दर्जन हथियारबंद अपराधीयों ने मंगनी चौक पर ही घटना को अंजाम देकर फरार हो गए थे.


मृतक आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय सिंह जगदीशपुर नगर पंचायत में धड़ल्ले से हो रहे भ्रष्टाचार और वितीय अनियमितता के खिलाफ जंग छेड़ दी थी. हाथ में सत्ता और रुपये की गर्मी के कारण विरोधियों द्वारा मृत्युंजय को मरने से पहले कई बार प्रताड़ना का भी सामना करना पड़ा था. उसके ऊपर पुलिसिया मिलीभगत से कई फर्जी मुकदमें भी कराए गए, जो कि जांच के बाद फर्जी निकले थे. मृत्युंजय की हत्या के बाद शवयात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए थे और हर किसी की नम आंखों में एक सवाल था इतने हँसमुख स्वभाव का व्यक्ति भ्रष्टाचार से जंग लड़ने अकेले निकला था.



बिहार के CM नीतीश कुमार पर प्याज फेंकने पर बोले तेजस्वी- लोकतंत्र में यह तरीका सही नहीं

बिहार में दूसरे चरण में 54.05 फीसदी वोटिंग, अन्य 10 राज्यों की 54 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में क्या रहा मत प्रतिशत?