पटना: बिहार में राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए सभी नियोजित शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा देने का निर्देश जारी किया गया है. यह परीक्षा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से ली जाएगी. बीते गुरुवार (1 फरवरी) से सक्षमता परीक्षा के लिए आवेदन शुरू हो गया है. नियोजित शिक्षकों को तीन बार सक्षमता परीक्षा देने का मौका मिलेगा. तीन बार में एक बार भी परीक्षा पास कर लेते हैं शिक्षक तो राज्यकर्मी बन जाएंगे. अगर तीनों बार में फेल होते हैं या इस सक्षमता परीक्षा में भाग ही नहीं लेते हैं उनका क्या होगा? इसके लिए भी शिक्षा विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है.
सक्षमता परीक्षा नहीं देने वाले नियोजित शिक्षकों या तीन बार में भी पास नहीं होने वाले नियोजित शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने एक कमेटी का गठन किया है. इसमे पांच सदस्य हैं. इस कमेटी के अध्यक्ष शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक बने हैं. माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद को सचिव बनाया गया है. इसमें सदस्य के रूप में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर भी हैं. इसके अलावा प्राइमरी डायरेक्टर मिथिलेश मिश्रा और एससीईआरटी के निदेशक सदस्य बने हैं. सभी सदस्य मिलकर निर्णय लेंगे.
नियोजित शिक्षकों को नौकरी जाने का भी डर
सक्षमता परीक्षा के निर्णय के बाद से ही नियोजित शिक्षकों में बेचैनी बढ़ गई है कि जो लोग एग्जाम पास नहीं करेंगे उनका क्या होगा? क्या उनकी नौकरी चली जाएगी? इस पर उस वक्त भी शिक्षा विभाग ने कहा था कि इस पर विचार नहीं किया गया है कि उनके लिए क्या कुछ होगा. अब कमेटी इस पर विभाग ने कमेटी का गठन कर दिया है. कमेटी की ओर से निर्णय लिया जाएगा.
बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जब से पदभार लिया है उसी समय से वो नियमों आदि को लेकर काफी सख्त है. ऐसे में शिक्षकों के बीच नौकरी जाने का भी डर लग रहा है कि अगर परीक्षा नहीं पास कर पाए तो कहीं केके पाठक कोई बड़ा निर्णय न ले लें. अब देखना होगा कि वैसे शिक्षकों के लिए इस कमेटी की ओर से क्या निर्णय लिए जाते हैं.
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