Bihar Sarisawa River Polluted Water: नेपाल (Nepal) के रामबन के जंगलों से निकली सरिसवा नदी (Sarisawa River) बिहार (Bihar) के पूर्वी चंपारण के सीमावर्ती रक्सौल शहर से होकर गुजरती है. सरिसवा नदी का उद्गम नेपाल के बारा जिला स्थित निकुंज से होता है. सरिसवा नदी की लंबाई करीब 43 किलोमीटर बताई जाती है. यह नदी सीमावर्ती इलाके के 2 प्रमुख शहर नेपाल के बीरगंज और बिहार के रक्सौल से होकर गुजरती है जो शिकारहना नदी में संगम करती है. नेपाल स्थित बीरगंज और बिहार के रक्सौल के कई प्रमुख गावों से होकर जहरीले पानी के लिए जाने जानी वाली इस नदी का पानी किसी गटर के पानी से कम नहीं है. इसके पानी का रंग पूरी तरह काला दिखता है.


लोगों का मानना है कि नेपाल से जहरीला पानी लेकर आई शिकारहना नदी गंगा नदी तक पहुच रही है, ऐसे गंगा सफाई अभियान का क्या हाल होगा. जीवनदायनी नदी अब जीवन लेने पर उतारू है. जिस नदी का पानी पशु-पक्षी तक नहीं पीते हैं. यदि सरिसवा नदी का काला पानी कोई पक्षी पी लिया तो मानो उसका मरना तय है, क्योंकि नेपाल स्थित मुरली, श्रीपुर, रानीघाट समेत बीरगंज के कई कल कारखाने की केमिकल युक्त पानी सरिसवा नदी के रास्ते बहता है. इसका पानी काफी बदबू के साथ दिखने में काला होता है. बता दें कि रक्सौल समेत कई गांव सरिसवा नदी के किनारे बसे हैं.


पानी की बदबू से त्रस्त हैं लोग


शहर और गांव के लोग जो सरिसवा नदी तट पर बसे हैं, इसकी बदबू से त्रस्त है, साथ ही जहरीले केमिकल युक्त पानी से किसानों की सिंचित भूमि बंजर होने का भय सता रहा है. शिकारहना नदी किनारे बनी सुगौली चीनी मिल तो चीनी समेत इथनॉल बनाती है, फिर फैक्टी का दूषित पानी शिकारहना नदी में छोड़ा जाता है तो नदियों में मछलिया मरने लगती हैं. पूर्वी चंपारण आपदा पदाधिकारी अनिल कुमार ने पूछे जाने पर बताया सरिसवा नदी नेपाल के बीरगंज के मुरली, श्रीपुर, रानीघाट से दूषित और जहरीला पानी आने के कारण काले रंग का पानी आता है जो नुकसानदायक है. दो देशों का मामला होने के कारण दूषित पानी को रोक लगाने में कई तरह की बाधा आती है फिर भी प्रयासरत है ताकि जहरीले पानी पर रोक लागया जा सके.


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गंदे पानी को लेकर है रही सियासत


सरिसवा नदी के काले पानी को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सियासत हो रही है. इसी क्रम में नवनिर्वाचित विधान परिषद सदस्य महेश्वर सिंह ने बिहार सरकार से मांग की है कि ऐसे जहरीले पानी पर रोक लागये जहां एक तरफ नदी की पानी खेती से लेकर पशु को पीने और स्नान कराने का काम में आता था. अब स्थानीय प्रसाशन की उदासीनता के कारण नेपाल से नदी के मार्ग पानी की जगह जहर भेजा जा रहा है, जिस पानी का उपयोग से पशु, पक्षी से लेकर किसान भी खेती में भी प्रयोग नहीं करते हैं. साथ ही रक्सौल शहर में नल का भी पानी पीले रंग जैसे निकलता है, इसी पानी को लोग पीने को मजबूर हैं. सरिसवा नदी के मामले में पूर्व में विदेश मंत्रालय के माध्यम से आवश्यक कदम उठाए जाने हेतु जल शक्ति मंत्रालय, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन एवं केंद्रीय जल आयोग को रिपोर्ट सौंपी गई थी लेकिन नतीजा शून्य रहा.


डॉक्टर ने बताए गंभीर परिणाम


अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक रक्सौलडॉ. एस. के. सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने सरिसवा नदी के दूषित पानी पर चिंता जताया और कहा रक्सौल नगर परिषद के लिए बीमारी का खतरा मंडरा रहा है. सरिसवा नदी के पानी के संपर्क में आने से कई तरह के बीमारियों की चपेट में आया जा सकता है. प्रमुख रूप से इस नदी के पानी में नहाने या शरीर पर प्रत्यक्ष रूप से पड़ने पर चर्म रोग हो सकता है. वहीं सरिसवा नदी क्षेत्र में भूगर्भीय स्तर को लेकर नगर परिषद रक्सौल में चापाकल की पानी पीने से पेट संबंधी विभिन्न प्रकार की बीमारी की संभावना के साथ लिवर में समस्या, किडनी में भी समस्या हो सकती है, साथ ही हेपटाइटिस का शिकार की प्रबल संभावना है.


रक्सौल शहर का पानी, पीएचइडी द्वारा भी बीते वर्ष वाटर क्वालिटी रिपोर्ट भी सौंपी गई थी. पानी में पीएच लेवल, टरबीडीटी और आइरन डिजायरेबल लिमिट से अधिक पाया गया, साथ ही टोटल कोलाई पॉजिटिव पाया गया था. यदि वर्तमान में सरिसवा नदी की पानी की जांच की जाय तो पहले से और दूषित पानी के कारण चौंकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं.


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