Sawan In Bihar: इस बार सावन महीना हिंदू धर्मावलंबियोंके लिए काफी खास है. शिव भक्त के लिए इस बार का सावन महीना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बार के सावन महीने में पांच सोमवारी हो रहे हैं. सावन का पहला दिन और अंतिम दिन भी सोमवारी है. कई सालों बाद यह ऐसा संयोग बना है. इस बार के सावन महीने में क्या कुछ विशेष है. भक्त किस तरह भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करें, इसे लेकर पटना के प्रख्यात ब्राह्मण पंडित पतंजलि शास्त्री ने कहा कि शिव भक्तों के लिए कई सालों बाद इस बार का एक अहम संयोग बना है.


जल, बेलपत्र और कुमकुम से पूजा करना लाभकारी


वैसे तो  भगवान शिव के लिए गंगाजल या किसी भी नदी या कुंआ प्रकार का जल, बेलपत्र और कुमकुम से पूजा करना बेहद लाभकारी होता है, लेकिन शिवलिंगों के आधार पर पूजा करना बेहद लाभकारी होता है. पटना का प्रसिद्ध बैकटपुर स्थित बैकुंठ धाम मंदिर के गौरी शंकर शिवलिंग पर पर अलग तरह से पूजा की जाती है. उन्होंने बताया कि देवघर जो अब झारखंड में हो गया है, पहले बिहार में था.


इसके अलावा बिहार के कई प्रसिद्ध शिवलिंग हैं, उन सभी शिवलिंगों में पटना का बैकटपुर गौरी शंकर शिवलिंग काफी खास है, क्योंकि यहां शिव और पार्वती  एक साथ शिवलिंग में विराजमान हैं, जो भक्त शिव जी के माथे पर जल अर्पित करता है वह जल शिवजी को होते हुए माता पार्वती पर जाता है. इससे माता पार्वती काफी खुश होती हैं.


पंडित पतंजलि शास्त्री ने बताया कि सच्चे मन से जो बैकटपुर गौरी शंकर मंदिर में भोलेनाथ सहित माता पार्वती की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. इसलिए शिवलिंग पर धागे का बंधन देना महत्वपूर्ण है. पतंजलि शास्त्री ने कहा कि शिव भक्त जब भी किसी भी शिवलिंग पर पूजा करते हैं तो धागा से शिवलिंग का बंधन करना ना भूलें, इससे भगवान भोलेनाथ हों या माता पार्वती अति प्रसन्न होते हैं.


एक महीने पूरी भक्ति से करें पूजा अर्चना


पतंजलि शास्त्री ने ये भी बताया कि इस बार पांच सोमवारी है और जो भक्त पांच सोमवारी व्रत करते हैं और सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. हालांकि किसी भी शिवलिंग पर पूरे सावन महीने में बेलपत्र और जल भगवान भोलेनाथ को चढ़ाते हैं तो ऐसा करने से पूरे एक महीने की पूजा का फल पूरे साल भर मिलता रहता है. सावन महीना हिंदू धर्म के शिव भक्तों के लिए काफी खास माना जाता है. इसलिए पूरे एक महीने तक शुद्धता के साथ भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की शरण में रहने पर पूरे साल भक्तों को कोई भी परेशानी नहीं होती है.


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