गयाः बिहार के गया सेंट्रल जेल के प्रवेश द्वार पर रक्षाबंधन को लेकर रविवार सुबह ही बहनें अपने बंदी भाइयों को राखी बांधने के लिए पहुंचीं, लेकिन कोरोना ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. गाइडलाइन और बंदियों की सुरक्षा का हवाला देते हुए जेल प्रशासन की ओर से उन्हें राखी बांधने की अनुमति नहीं मिली. हर वर्ष जेल प्रसाशन की ओर से राखी बंधवाने की व्यवस्था की जाती थी.
जेल उपाधीक्षक रामानुज के नेतृत्व में सभी बहनों को समझाया गया. उन्होंने बताया कि कोरोना को लेकर इस वर्ष जेल में बंद कैदियों के लिए बाहर आईं उनकी बहनें या परिजनों द्वारा भेजी गई मिठाइयां व राखियों की जांच कर पुलिसकर्मियों द्वारा बंदियों तक भिजवाने की व्यवस्था की गई है. कोरोना संक्रमण को लेकर यह कदम उठाए गया है.
वहीं, दूसरी ओर जेल में बंद भाइयों से मुलाकात व राखी न बांध पाने से बहनों की आंखें भर आईं. रोते हुए एक महिला ने कहा कि बंदी भाई से मुलाकात न सही सिर्फ भाई की कलाई मिल जाती तो वह राखी बांध कर लौट जाती. कहा कि उसका भाई लड़ाई-झगड़े के केस में सात महीने से गया सेंट्रल जेल में बंद है.
राधी बांधना तो दूर, मिलना भी मुश्किल
वहीं एक अन्य महिला सीमा देवी सुबह से ही सड़क के किनारे जेल के बाहर बैठी मिली. उसने कहा कि उसका भाई आठ महीने से जेल में बंद है. वह उसका इकलौता भाई है. पिछले साल तो कलाई पर राखी बांधी लेकिन इस बार भाई से मुलाकात करना भी मुश्किल है.
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