(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
बिहार: दिवाली नजदीक आते ही कुम्हारों के चेहरे पर लौटी मुस्कान, लॉकडाउन में ठप पड़ गया था काम
लॉकडाउन में मिट्टी के बर्तन का कारोबार पूरी तरह बंद होने के बाद फिर एक बार अपने व्यवसाय को पटरी पर लाने की उम्मीद में कुम्हरार दिन रात मेहनत कर रहे हैं.
कैमूर: कोरोना काल ने देश के हर छोटे-बड़े व्यापारी और कामगारों की कमर तोड़ कर रख दी है. लेकिन अब धीरे-धीरे ही सही मगर जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है. ऐसे व्यसायी और कामगार जिनका काम लॉकडाउन में ठप पड़ गया था, एक बार फिर से उनका काम शुरू हो गया है. बिहार के कैमूर में कुम्हारों ने दिवाली नजदीक देख दीया बनना शुरू कर दिया है.
लॉकडाउन में मिट्टी के बर्तन का कारोबार पूरी तरह बंद होने के बाद फिर एक बार अपने व्यवसाय को पटरी पर लाने की उम्मीद में कुम्हरार दिन रात मेहनत कर रहे हैं. लॉकडाउन में काम ठप होने के बाद कुम्हारों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है. उन्हें उम्मीद थी कि दुर्गा पूजा के अवसर पर मां दुर्गा की प्रतिमा बनाने और विभिन्न मूर्तियां बनाने से उनका व्यवसाय एक बार फिर रफ्तार पकड़ेगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
सरकार की ओर से गाइडलाइन आने के बाद दुर्गा पूजा भी फीका रहा, जिस कारण कुम्हारों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न होने लगी. अब दीपोत्सव नजदीक देखकर कुम्हार एक बार फिर से मिट्टी के दिए बनाने में जुटे हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि दीपावली में मिट्टी के दीयों का डिमांड बढ़ेगा और वह कुछ कमाई कर लेंगे. लेकिन उन्हें अंदर ही अंदर चिंता भी सताए जा रहा है कि जिस तरह से चाइनीज लाइट और झालरों का डिमांड बढ़ा है, कहीं उसके आगे इनकी मेहनत बेकार ना चली जाए.
कुम्हार बताते हैं कि दीपावली पर्व के लिए हम लोग एक महीने पहले से तैयारियों में जुट जाते हैं, पहले की अपेक्षा मिट्टी भी महंगी हो गई है. हम लोग इस उम्मीद में मेहनत कर रहे हैं कि मिट्टी के दीये दीपावली में बिकेंगे तो कुछ कमाई हो जाएगी, जिससे घर खर्च चल पाएगा. लेकिन मार्केट में बिक रही चाइनीज लाइट और झालरों का डर भी सता रहा है कि कहीं हमारी पूंजी डूब ना जाए. हम लोग चाहते हैं कि सरकार हम लोगों की मिट्टी के दीए को शहरों में भी बिकवाने का काम करें, जिससे कि हम लोगों की कमाई हो सके.
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