विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 मंगलवार को पास हो गया. एक तरफ जहां बिहार विधानभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी ने बिल फाड़कर अध्यक्ष के सामने फेंका तो वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिल की खूबी बताई और बिहार विधानसभा में बिल पास हुआ. इस दौरान विपक्ष के विधायकों को हॉल से बाहर लाया गया. विधायक महबूब आलम समेत कई विधायकों का आरोप है कि कुर्ता फाड़ा गया. उन्होंने आरोप लगाया कि ये सरकार नहीं माफिया राज है. सरकार बहस नहीं होने देना चाहती है लेकिन हम लड़ाई लड़ते रहेंगे.


तेजस्वी का नीतीश के इशारे पर बदसलूकी का आरोप


तेजस्वी यादव ने विपक्षी नेताओं के साथ विधानसभा में बदसलूकी का आरोप लगाते हुए कहा- अति पिछड़े समाज से आने वाली हमारी विधायक का बाल खींचा गया. हमारे विधायक को लात जूते से पीटा गया. ये सबकुछ मुख्यंमत्री के निर्देश पर किया गया. हम सदन में होते हैं तो नीतीश कुमार ग़ायब रहते हैं. तेजस्वी ने आगे कहा- मुंबई में जब 26/11 घटना हुई तो पुलिस के लोग वारंट लाने गए या कार्रवाई की पहले. पुलिस को पहले से पावर है. सीएम किसको बेवक़ूफ़ बना रहे. बिना वारंट के भी पुलिस को गिरफ़्तार करने की शक्ति है. बिहार में आज काला क़ानून पेश किया गया जिसके विरोध में सब खड़े थे. आज का दिल काला दिन के रुप मे याद करेगी.


तेजस्वी ने नीतीश को दी बहस की चुनौती


उन्होंने कहा- विधायकों की जब विधानसभा में पिटाई होगी तो इस क़ानून के बाद घर में घुसकर पीटा जाएगा. इसमें लिखा है बिना वारंट के कार्रवाई करेगी. इसमें लिखा है कि पुलिस को विश्वास हो जाए तो किसी की गिरफ़्तारी कर लेगी. पुलिस लेकर जाएगी थाने और कहेगी कि आरसीपी टैक्स दो.मज़ाक़ बनाया जा रहा है. बहस की बात कर रहे हैं, सीएम हमने चुनौती दी है. तेजस्वी ने कहा- “ये पहली घटना नहीं है जहां पत्रकारों को पीटा गया, विधायकों को मारा गया. शराब माफ़ियाओं को संरक्षण दिया जा रहा है. नीतीश कुमार पुलिस को सशक्त नहीं गुंडा बना रहे हैं. अभिव्यक्ति की आज़ादी को छीनने का काम किया है. आज मेरे ऊपर भी जानलेवा हमला हुआ. कोई मेजिस्ट्रेट नहीं आए बात करने,मैं जैसे ही पहुँचा पानी का बौछार और ईंट पत्थर बरसाए गए.”


नीतीश बोले- कभी ऐसा दृश्य नहीं देखा


मुख्यमंत्री नतीश कुमार ने विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 बिल विधानसभआ सेपास होने से पहले कहा- "आज तक विधानसभा में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा गया. सदन में सिर्फ विरोध हो रहा, कोई कुछ कह नहीं रहा. बोधगया में महाबोधि मंदिर के पास 2013 में किस तरह की घटना हुई. हमने जाकर देखा और बाउंड्री बनवाई गई. बीएमपी को बोधगया मंदिर और दरभंगा एयरपोर्ट की सुरक्षा में लगाया गया. अगर कोई क्राइम कर रहा है, तो क्या करेंगे? क्या कोर्ट के परमिशन का इंतजार किया जाएगा. हमने विधेयक को लेकर साढ़े तीन घंटे तक बात की. हमने अधिकारियों से कहा, कहीं आपके बीच का ही कोई विरोध तो नहीं कर रहा. अगर कोई कहीं अपराध कर रहा, तो क्या पकड़ेंगे नहीं. सामान्य पुलिस से ज्यादा कार्रवाई की बात विधेयक में कही गयी, अगर कोई दुरुपयोग करेगा, तो बचेगा नहीं."


नीतीश ने आगे कहा- "अगर विपक्ष चर्चा में भाग लेते, तो सब सवालों का जवाब दिया जाता. अधिकारियों ने ग़लती की. प्रेस के साथ पूरी बात की चर्चा करनी चाहिए थी. जिस दिन से पेश हुआ, विरोध शुरू किया गया. खड़े होकर क्या-क्या करवाया गया. नए विधायकों को ट्रेनिंग देनी चाहिए. राजनीति करने वाले दल अपने हिसाब से फैसला लेंगे. सशस्त्र बल को अधिकार दिया जा रहा है, इसकी भी लिमिट है. नए विधायक क्या-क्या कर रहे थे. डिबेट में भाग लेते और सवाल खड़े करते, तो हम जवाब देते. मैं आश्चर्यचकित हूं, इसके बारे गलतफहमी है. दूसरे राज्यों में जो कानून है, वैसा ही है,अपनी बात बुलन्दी से कहनी चाहिए थी, अगर नहीं सुनना चाहते थे, तो चले जाते. ये ऐसा कानून नहीं जो लोगों को कष्ट देगा, ये लोगों की रक्षा करनेवाला है."


क्यों कानून का हो रहा विरोध?
दरअसल नीतीश सरकार इस विधेयक के ज़रिए बिहार में सीआईएसएफ की तर्ज़ पर नए पुलिस बल का गठन करना चाह रही है. इस विधेयक में पुलिस बल के पास बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तार कर लेने की शक्ति होगी. गिरफ्तारी के बाद की जाने वाली प्रक्रिया में पुलिस के पास कुछ अधिकार होंगे. जघन्य अपराधों में दंड देने की प्रक्रिया बनाई गई है. कोर्ट की ओर से अपराध का संज्ञान लेने की प्रक्रिया की व्याख्या की गई है. ऐसे मसलों को लेकर आरजेडी इसे काला कानून बता रही है.