आचार्य किशोर कुणाल को 'पद्म विभूषण' देने की बिहार सरकार ने की अनुशंसा, गृह मंत्रालय को लिखा पत्र
Padma Vibhushan Award: मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की तरफ से गृह मंत्रालय को पत्र लिखा गया है, जिसमें किशोर कुणाल को पद्म विभूषण पुरस्कार 2025 से सम्मानित करने की अनुशंसा की गई है.
Acharya Kishore Kunal: किशोर कुणाल को पद्म विभूषण पुरस्कार 2025 से सम्मानित करने की अनुशंसा की गई है. बिहार राज्य स्तरीय अनुशंसा समिति ने स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) के विशिष्ट योगदान को मान्यता देते हुए उनका नाम भारत सरकार के जरिए प्रदान किए जाने वाले “पद्म विभूषण” पुरस्कार 2025 के लिए अनुशंसित किया है. मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग की तरफ से सरकार के अपर सचिव सुमन कुमार ने गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोपालस्वामी पार्थसारथी को पत्र लिखा है.
बीते 29 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन
बता दें कि पूर्व आईपीएस अधिकारी और बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष किशोर कुणाल का बीते 29 दिसंबर को निधन हो गया था. उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. आचार्य किशोर कुणाल ने 74 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली थी. किशोर कुणाल अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में से एक थे. सेवानिवृत्ति के बाद किशोर कुणाल समाज सेवा में जुट गए थे. किशोर कुणाल ने पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में ग्रेजुएशन किया. बाद में किशोर कुणाल गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी बने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के तौर पर उनकी तैनाती पटना में भी हुई.
जीतन राम मांझी ने की थी भारत रत्न की मांग
इससे पहले बिहार की हम पार्टी के संरक्षक और भारत सरकार में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने भी आचार्य किशोर कुणाल को भारत रत्न देने की सिफारिश की थी. जीतन राम मांझी ने इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भी लिखा था. अपने सिफारिशी पत्र में जीतन राम मांझी ने कहा है कि वह समाज में उनके व्यापक योगदान के कारण आचार्य किशोर कुणाल को भारत रत्न देने की सिफारिश कर रहे हैं.
केंद्रीय मंत्री ने उनके योगदान को गिनाते हुए कहा था कि उनके कुशल नेतृत्व में महावीर मंदिर ट्रस्ट ने महावीर कैंसर संस्थान की स्थापना हुई, जहां गरीब और वंचित लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिल रही हैं. जीतन राम मांझी ने कहा कि उन्होंने पटना में ज्ञान निकेतन विद्यालय की भी स्थापना की. कैमूर पहाड़ियों पर गुप्त काल के एकमात्र विद्यमान मंदिर मुंडेश्वरी भवानी के जीर्णोद्धार में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी पहल और प्रयासों के कारण ही बिहार के पूर्वी चंपारण में दुनिया के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर का निर्माण शुरू हुआ.
ये भी पढ़ें: '13 करोड़ लोगों के मुखिया कितने स्वस्थ', प्रशांत किशोर ने CM का मांगा हेल्थ बुलेटिन तो BJP ने दी चेतावनी