Bihar Politics: आज BJP में शामिल होने जा रहे पूर्व विधायक सुनील पांडेय, पशुपति पारस को कैसे लगा झटका? जानें
Bihar News: भगवान महावीर पर पीएचडी कर चुके सुनील पांडेय का नाम बिहार के बाहुबली नेताओं में आता है. 34 साल की उम्र में पहली बार पीरे से वह विधायक बन गए थे.
Bihar News: भोजपुर की तरारी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय आज (16 अगस्त) भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे. वे फिलहाल एलजेपी पारस गुट में थे लेकिन अब उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. आज शुक्रवार को पटना स्थित बीजेपी के प्रदेश कार्यालय में वह पार्टी की सदस्यता लेंगे. अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें तरारी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार बना सकती है.
सवाल है कि पशुपति कुमार पारस के लिए यह झटका क्यों माना जा रहा है? तो जान लें कि सुनील पांडेय के दम पर ही आरएलजेपी ने एनडीए से तरारी सीट मांगी थी. अब सुनील पांडेय ने ही पशुपति पारस का साथ छोड़ दिया है. 2020 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे सुनील पांडेय दूसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी के प्रत्याशी कौशल विद्यार्थी बुरी तरह पराजित हो गए थे.
भगवान महावीर पर कर चुके हैं पीएचडी
भगवान महावीर पर पीएचडी कर चुके सुनील पांडेय का नाम बिहार के बाहुबली नेताओं में आता है. उन्होंने 34 साल की उम्र में पहली बार 2000 में फरार रहते ही पीरो से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली थी. वे निवासी भले ही सीमावर्ती रोहतास जिले के थे पर राजनीति की शुरुआत के लिए उन्होंने भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र को चुना.
सुनील पांडेय चार बार जीत चुके हैं चुनाव
सुनील पांडेय वर्ष 2000 में समता पार्टी प्रत्याशी के रूप में 43160 मत पाकर पीरो विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने थे. फरवरी 2005 में पीरो विधानसभा क्षेत्र से 54767 मत पाकर सुनील पांडेय दूसरी बार विधायक बने थे. वर्ष 2005 के अक्टूबर माह में हुए उपचुनाव में पीरो विधानसभा क्षेत्र से 46338 मत पाकर सुनील पांडेय तीसरी बार विधायक बने थे. 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी के रूप में तरारी विधानसभा क्षेत्र से 46338 मत पाकर सुनील पांडेय चौथी बार विधायक बने थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में एलजेपी प्रत्याशी के रूप में सुनील पांडेय की पत्नी गीता पांडेय चुनाव मैदान में उतरीं और 43778 मत पाकर महज 272 मतों के अंतर से उनको हार का सामना करना पड़ा था.
चार बार विधायक रह चुके सुनील पांडेय कभी सत्ता के काफी करीब थे. एक बार तो सरकार बचाने और बहुमत जुटाने को लेकर उनकी खूब चर्चा हुई थी. बताया जा रहा है कि 2000 में समता पार्टी ने सुनील पांडेय को भोजपुर के पीरो विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था. उन्होंने आरजेडी के प्रत्याशी काशीनाथ को हराया था. उस चुनाव में किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला था. समता पार्टी का बीजेपी से गठबंधन था. नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. सुनील पांडेय की ओर से बाहुबली राजन तिवारी, मुन्ना शुक्ला, रामा सिंह, अनंत सिंह, धूमल सिंह और मोकामा के सूरजभान जैसे निर्दलीय बाहुबलियों की फौज को नीतीश कुमार के खेमे में खड़ा कर दिया था. तब सुनील पांडेय का कद बहुत बढ़ गया था.
बता दें कि बीते 31 जुलाई को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. प्रदेश कार्यकारिणी सम्मेलन में इसकी घोषणा की गई थी. उन्होंने प्रदेश कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों, 38 जिलों के अध्यक्षों एवं जिला प्रभारियों, सभी प्रकोष्ठों के प्रदेश अध्यक्षों और दलित सेना के सभी प्रखंडों व जिलों के अध्यक्षों समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की भीड़ जुटाकर ताकत भी दिखाई. उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था लोकसभा चुनाव में एनडीए ने हमारी पार्टी के साथ नाइंसाफी की, धोखा भी हुआ, लेकिन विधानसभा चुनाव में नाइंसाफी बर्दाश्त नहीं करेंगे. सारे विकल्प खुले रखेंगे इसलिए विधानसभा चुनाव की लड़ाई के लिए अभी से तैयारी में जुट जाएं.
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