पटना : बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कल यानि बुधवार को दोपहर 12.30 बजे राज्यसभा उपचुनाव के लिए बतौर एनडीए उम्मीदवार अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे. पटना कमिश्नर के कार्यालय में नॉमिनेशन की इस प्रक्रिया के दौरान इनके साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद व रेणु देवी के साथ हम पार्टी के अध्य्क्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और वीआईपी पार्टी के अध्यक्ष व मंत्री मुकेश सहनी समेत बड़ी संख्या में विधायक और विधान पार्षद भी शामिल रहेंगे.
बताते चलें कि एलजेपी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे राम विलास पासवान की निधन के बाद से खाली हुई सीट के लिए यह उपचुनाव हो रहा है. साल 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद दिवंगत राम विलास पासवान एनडीए की ओर से राज्यसभा के लिए बिहार से भेजे गए थे. नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे टर्म में राम विलास पासवान को केन्द्र सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री की जिम्मेदारी मिली थी. ऐसे में चर्चा इस बात की भी तेज है कि ये पद सुशील मोदी को मिल सकती है.
इधर दूसरी ओर बिहार चुनाव के बाद अध्यक्ष पद पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी महागठबंधन इस बार राज्यसभा में भी दावेदारी ठोक सकती है और इसके लिए श्याम रजक को उम्मीदवार बनाए जाने की भी चर्चा जोरों पर है. बताते चलें कि श्याम रजक नीतीश सरकार में जेडीयू की तरफ से कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं मगर इस बार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पाला बदलकर आरजेडी में शामिल हो गए थे. हालांकि श्याम रजक ने जिस कारण दल बदल की थी वो मकसद आरजेडी की ओर से भी विधान सभा में पूरी नहीं हो सकी उन्हें पार्टी का टिकट नहीं मिल सका. श्याम रजक अपनी परंपरागत सीट फुलवारी शरीफ से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन वो सीट वाम दल के खाते में जाने से रजक चुनाव लड़ने से वंचित रह गए थे.सूत्रों की माने तो श्याम रजक के साथ हुई इस ज्यादती की भरपाई करने के लिए आरजेडी उन्हें राज्यसभा भेजने की जुगत में लगी है वैसे आरजेडी के सूत्रों की माने तो आरजेडी पहले दिवंगत राम विलास पासवान की पत्नी रीना पासवान को समर्थन देने को इसलिए तैयार थी क्योंकि वो एक दलित चेहरा थीं लेकिन चिराग पासवान के इनकार के बाद आरजेडी ने अपने खेमे से दलित चेहरे श्याम रजक पर दांव लगा दिया है.अब इस पारी में जीत हार तो 14 दिसंबर को तय होगी लेकिन महागठबंधन के इस कदम ने इतना तो साफ कर दिया है कि एनडीए की हर राह में अपनी दावेदारी ठोंकने से ये कभी पीछे नही रहेंगें.