पटना: डोमिसाइल नीति में बदलाव करने पर शिक्षक अभ्यर्थी बिहार सरकार का विरोध (Bihar Teacher Candidates Protest) कर रहे हैं. इसको लेकर शिक्षक अभ्यर्थियों ने बुधवार को कहा कि 14-15 राज्यों में स्थानीय नीति है, जहां दूसरे राज्यों के अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बन सकते हैं, लेकिन बिहार सरकार शिक्षक भर्ती नियमावली में बदलाव की. अब बिहार में शिक्षक बनने के लिए बिहारी होना जरूरी नहीं है. बाहरी लोग भी शिक्षक बन सकते हैं. ऐसे कर हम लोग का हक छीना जा रहा है. सरकार हम लोगों को मजदूर बनाना चाहती है. आर पार की लड़ाई होगी. सरकार इस संसोधन को वापस ले. 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का सुपड़ा साफ कर देंगे.
विरोध में उतरे शिक्षक अभ्यर्थी
विरोध कर रहे अभ्यर्थियों ने कहा कि कुछ महीने पहले बिहार सरकार ने शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 को मंजूरी दे दी थी. कहा गया था शिक्षकों की नियुक्ति बीपीएससी के माध्यम से होगी, जो राज्यस्तरीय परीक्षा लेगा. सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी परीक्षा में अधिकतम तीन बार बैठ सकेंगे. बहाल शिक्षक सरकारी कर्मी कहलाएंगे. शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 के तहत हम लोग दोबारा परीक्षा देने को तैयार हुए थे. जबकि तीन साल पहले हम लोग परीक्षा में पास कर चुके थे.
शिक्षा मंत्री बिहारी छात्रों का मजाक बना रहे हैं- शिक्षक अभ्यर्थी
आगे अभ्यर्थियों ने कहा कि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने संशोधन नियमावली पर कहा है कि बहाली में अंग्रेजी, गणित और विज्ञान के कॉम्पिटेटिव अभ्यर्थी नहीं मिल पाते हैं. सीट खाली रह जाती थी जिसके बाद सरकार ने इस तरह का निर्णय लिया है. अब देश के कोई भी अभ्यर्थी इसमें शामिल हो सकते हैं. टैलेंटेड अभ्यर्थी इस बहाली की प्रक्रिया में शामिल होंगे. यह बोल कर शिक्षा मंत्री बिहारी छात्रों का मजाक बना रहे हैं.
'लाठी खाते थे लेकिन नियुक्ति नहीं हुई'
अभ्यर्थियों ने कहा कि तीन साल पहले सीटीईटी, एसटीईटी और टीईटी परीक्षा पास कर चुके हैं. नियुक्ति को लेकर दिन रात हम लोग प्रदर्शन करते थे. लाठी खाते थे लेकिन नियुक्ति नहीं हुई. हम लोगों को ठगा जा रहा है. डिप्टी सीएम तेजस्वी बोले थे कि महागठबंधन सरकार बनते 20 साथ नौकरी देंगे. वादा अब तक पूरा नहीं किए.
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