Tejashwi Yadav Post: लोकसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम आरक्षण को लेकर राजनीति काफी गर्म है. मुस्लिम आरक्षण पर लालू यादव के एक बयान को लेकर तो पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए. कोई पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने के पक्ष में है हो तो कोई इसके खिलाफ. बीजेपी ने तो आरजेडी नेता आरजेडी और लालू यादव पर हिंदुओं का आरक्षण छीनने तक का आरोप लगा दिया. अब तेजस्वी यादव ने सोमवार (27 मई) को एक पोस्ट कर एक लिस्ट जारी की है, जो मुस्लिम ओबीसी जातियों की केंद्रीय सूची है. जिन्हें गुजरात में पिछड़े वर्ग में आरक्षण मिलता है.
'आरक्षण का आधार धर्म नहीं सामाजिक पिछड़ापन है'
तेजस्वी यादव ने इस लिस्ट को जारी कर लिखा है कि उसी गुजरात की लिस्ट है, जहां नरेंद्र मोदी 13 वर्षों तक सीएम रहे. उन्होंने पीएम मोदी और कुछ मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा है कि ये लोग नहीं जानते कि हमारे संविधान में आरक्षण का आधार धर्म नहीं, बल्कि सामाजिक पिछड़ापन है. दरअसल संविधान में उन्हीं मुसलमानों को आरक्षण दिया गया है, जो पिछड़ी जाति के हैं. ये आरक्षण उन्हें मुस्लिम होने पर नहीं बल्कि मुसलमानों में भी पिछड़ा होने के कारण मिला है.
तेजस्वी यादव ने पोस्ट कर लिखा, "यह मुस्लिम ओबीसी जातियों की केंद्रीय सूची है, जिन्हें गुजरात में पिछड़े वर्ग में आरक्षण मिलता है. हां! उसी गुजरात में जहां नरेंद्र मोदी जी 13 वर्षों तक CM रहे है. यह जानकारी प्रधानमंत्री के साथ-साथ गोदी मीडिया के अज्ञानियों के लिए भी है, जो केवल व्हाट्सएप ज्ञान के आधार पर आज कल न्यूज़ पढ़ते है, इंटरव्यू करते हैं और भ्रम, नफरत एवं अफवाह फैलाते हैं".
लिस्ट जारी कर साधा पीएम मोदी पर निशाना
तेजस्वी यादव की जारी ये लिस्ट इंडिया गठबंधन पर लग रहे आरक्षण छीनने के आरोपों का जवाब है. गुजरात की मुस्लिम आरक्षण लिस्ट जारी कर वो देश को बताना चाहते हैं कि आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं है बल्कि सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर है. अगर धर्म के आधार पर है तो फिर ये आरक्षण गुजरात के मुसलमानों को कैसे मिल रहा है. दरअसल बीजेपी की तमाम रैलियों में ये आरोप लगाया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन की सरकार बनी तो ओबीसी का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को दे दिया जाएगा.
बता दें कि पिछले दिनों एक न्यूज एजेंसी को दिए अपने बयान में आरजेडी चीफ लालू यादव ने कहा था कि मुस्लिमों को आरक्षण जरूर मिलना चाहिए. लालू यादव से पूछा गया था कि क्या मुस्लिमों को आरक्षण मिलना चाहिए? इसी का जवाब उन्होंने दिया था. जिसके बाद बिहार से लेकर दिल्ली तक राजनीति में भूचाल आ गया. पीएम मोदी और अमित शाह समेत बीजेपी के तमाम नेताओं ने इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की.