रोहतास: रोड सेफ्टी और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सड़कों पर वाहन परिचालन को लेकर कई नियम-कानून बनाए गए. इन नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना और सजा का प्रावधान है. खासकर वन क्षेत्र में प्रवेश करने वाले वाहनों का अगर पॉल्यूशन सर्टिफिकेट ठीक ना हो तो जुर्माना भरना पड़ता है. साथ ही वन अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.


कभी बना ही नहीं पॉल्यूशन सर्टिफिकेट


हालांकि, वन विभाग की ही कई गाड़ियां ऐसी हैं जिनका कभी पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बना ही नहीं. यहां तक की कई गाड़ियां काफी पुरानी होने के बावजूद वन क्षेत्र में घूमती रहती हैं. आरोप है कि वन विभाग में रेंजर के पद पर तैनात अधिकारी प्राइवेट नंबर की गाड़ी का कमर्शियल यूज करते हैं, लेकिन उनपर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाती है.


कई गाड़ियों के नहीं हैं कागजात


गाड़ियों की बात करें तो वन विभाग के रेंजर सतेंद्र सिंह जिस गाड़ी की सवारी करते हैं, उसका 2014 में ही इंस्योरेन्स फेल हो गया है. साथ ही वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट भी नहीं है. वहीं, जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी खुद जिस स्कार्पियो गाड़ी की सवारी करते हैं, उसका इंस्योरेन्स और पॉल्यूशन दोनों फेल है.


वन विभाग के पास जो कैदी वाहन है, उसका इंस्योरेन्स 2012 में ही फेल हो चुका है. वहीं, फॉरेस्टर की बोलेरो गाड़ी भी पूरी तरह से खटारा हो गई है. ना उसमें बैक लाइट है और न ही पॉल्यूशन सर्टिफिकेट. गाड़ी धुंआ उगलती है और इंस्योरेन्स तो 2013 के बाद कभी हुआ ही नहीं.


नियम सबके लिए एक समान


इस संबंध में जब जिला परिवहन पदाधिकारी जियाउद्दौला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये बात संज्ञान में आई है. सम्बंधित विभाग को नोटिस जारी किया जाएगा ताकि जो भी आवश्यक कागजात है, वे पेश करें. कोई भी अधिकारी हो या आम आदमी गाड़ी संबंधित जरूरी पेपर देना या रखना सभी के लिए अनिवार्य है. रजिस्ट्रेशन, फ़िटनेस, इन्सुरेंस आदि अगर नहीं है तो विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी. कानून सभी के लिये बराबर है.


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