वैशाली: आज देश 72वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. गणतंत्र दिवस के अवसर पर बीते साल चीनी सिपाहियों के साथ गलवान घाटी में मुठभेड़ में शहीद हुए 20 जवानों को सम्मानित किया गया. हालांकि, इन्हीं 20 जवानों में से एक जवान के परिजनों का आरोप है कि सरकार और प्रशासन उनकी अनदेखी कर रहा है.


20 साल की उम्र में हुए थे शहीद


बता दें कि बीते वर्ष 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भरतीय जवान शहीद हुए थे. इन्हीं शहीदों में से एक बिहार के वैशाली जिले के जंदाहा चकफतह के रहने वाले जयकिशोर सिंह थे. बिहार रेजीमेंट के 12वीं बटालियन के जवान जयकिशोर ने महज 20 साल की उम्र में सीमा की सुरक्षा में अपने प्राण की बलि दी थी.


नेताओं ने किए थे कई वादे


जयकिशोर सिंह की शहादत के बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया था. शहीद के सम्मान में नेताओं ने जयकिशोर की मूर्ति लगवाने का वादा किया था. स्थानीय सांसद औए एलजेपी नेता पशुपति पारस ने शहीद के गांव को गोद लेने का एलान किया किया था. लेकिन आज तक उन दावों और वादों पर अमल होता नहीं दिख रहा.


सात महीनों से पड़ी है मूर्ति


गौरतलब है कि शहीद जयकिशोर के सम्मान में बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने परिवार को शहीद की एक मूर्ति भेंट की थी. लेकिन शहादत के करीब 7 महीने बाद भी शहीद की मूर्ति अपने सम्मान के लिए तरस रहा है. इस संबंध में परिजनों ने बताया कि घर के पास ही खाली सरकारी जमीन पर शहीद की मूर्ति स्थापित करने की कोशिश की गयी थी. लेकिन स्थानीय प्रशासन ने सरकारी नोटिस जारी कर उसे रोक दिया.


परिजनों ने लगाया ये आरोप


परिजनों का आरोप है कि शहादत के वक़्त जितने नेता आए थे और उन्होंने जितने वादे किए थे वह सब धरे के धरे रह गए. उस दिन के बाद से आज तक कोई पलटकर वापस हमारा हाल जानने नहीं आया. बता दें कि जयकिशोर 2018 में भारतीय थल सेना में चयनित हुए थे. उनकी पहली पोस्टिंग भारत चीन सीमा के पूर्वी लद्दाख में हुई थी. किसान पिता के 4 संतानों में वो दूसरे नंबर पर थे. शहीद जयकिशोर के बड़े भाई नंदकिशोर सिंह भारतीय थल सेना में सिक्किम में पदस्थापित है.


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