पटनाः बिहार के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में रविवार को एक अजीबो-गरीब मामला सामना आया. दरअसल, बाढ़ के रहने वाले चुन्नू कुमार को ब्रेन हैमरेज हुआ था. ऐसे में उनके परिजनों ने उन्हें इलाज के लिए दो दिन पहले पीएमसीएच में भर्ती कराया था. इलाज के दौरान जब कोरोना की जांच कराई गई, तो वह पॉजिटिव निकल गया.


कागजी प्रक्रिया पूरी कर सौंप दिया शव


इसके से बाद परिजनों को मरीज से मिलने नहीं दिया जा रहा था. रविवार की सुबह करीब दस बजे के आसपास बताया गया कि मरीज की स्थिति खराब है. इसके कुछ ही देर बाद चुन्नू को अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया और सारी कागजी कार्रवाई पूरी कर, शव को परिजनों को सौंप दिया.


बांस घाट पर पता चला सब कुछ


इधर, मरीज की मौते के बाद उसके घरवाले कहते रहे कि उन्हें मृतक का चेहरा दिखा दें पर किसी ने नहीं सुनी. बांस घाट शव को पहुंचाने के बाद अंतिम संस्कार होना था. इस दौरान चुन्नू के 12 साल के बेटे को बुलाया गया. जब शव के ऊपर से चेहरा देखने के लिए कपड़ा हटाया गया तो पता चला कि वह चुन्नू नहीं बल्कि कोई और है, जिसे घरवाले पहचानते तक नहीं. फिर घाट पर ही हंगामा मच गया. वहीं, शव को पीएमसीएच मंगा लिया गया.


परिजन अस्पताल पहुंचे तो 40 वर्षीय चुन्नू स्वस्थ था. पीएमसीएच अधीक्षक आइएस ठाकुर ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसमें कहां से क्या दिक्कत हुई है यह जांच का विषय है. इसके बाद ही कुछ होगा.


पटना के जिलाधिकारी ने गंभीरता से लिया मामला  


पीएमसीएच में कोरोना पीड़ित जीवित व्यक्ति को मृत बताकर शव उपलब्ध कराने संबंधी मामले को गंभीरता से लेते हुए पटना के  जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने पीएमसीएच के प्राचार्य और अधीक्षक को पत्र प्रेषित कर सख्त निर्देश दिया है.


उन्होंने इस मामले की लापरवाही और इसकी जांच कर जवाबदेही तय करने और दोषी के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए कहा है. वहीं, कार्रवाई संबंधित रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर प्रतिवेदित करने का निर्देश दिया है. साथ ही भविष्य में इस प्रकार की लापरवाही की पुनरावृति रोकने की पुख्ता व्यवस्था करने का सख्त निर्देश दिया गया है.


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