Tytler's Leaf Warbler: बिहार में पहली बार दुर्लभ पक्षी ‘टाइटलर्स लीफ वार्बलर’ को देखा गया है. बिहार के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन पी.के. गुप्ता ने कहा कि तुलनात्मक रूप से लंबी और पतली चोंच वाला मध्यम आकार के ‘लीफ वार्बलर’ को हाल में भागलपुर जिले के ‘बर्ड रिंगिंग’ स्टेशन सुंदरवन में देखा गया.


इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की सूची में ‘टाइटलर लीफ वार्बलर’ एक 'संकटग्रस्त प्रजाति' है.


गुप्ता ने कहा, “ भागलपुर के सुंदरवन में पक्षी निगरानी गतिविधियों के दौरान, हमने हाल ही में ‘फाइलोस्कोपिडे’ परिवार के एक ‘वार्बलर’ को देखा.”


गुप्ता ने बताया, 'औसत समुद्र तल (एमएसएल) से 52 मीटर की ऊंचाई पर और बिहार में गंगा के मैदानी इलाकों में इस प्रजाति की उपस्थिति का पहला प्रामाणिक रिकॉर्ड है. इसलिए हम पक्षी की इस दुर्लभ प्रजाति कि यहां उपस्थित से बहुत उत्साहित हैं.'


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उन्होंने कहा, “यह पश्चिमी हिमालय, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में ऊंचाई पर प्रजनन करता है. सर्दियों में, यह दक्षिणी भारत, खासकर पश्चिमी घाट और नीलगिरी में प्रवास करता है.'


वन अधिकारी ने कहा कि इससे पहले, इस प्रजाति को कभी-कभी गुजरात के सौराष्ट्र और मोरबी क्षेत्र, पन्ना और मेलघाट बाघ अभयारण्यों और रंगनाथिटु पक्षी अभयारण्य (कर्नाटक) में देखा गया था.


देश में बर्ड रिंगिंग स्टेशन वाला चौथा राज्य बिहार
मुख्य वन्यजीव वार्डन ने कहा, '‘टाइटलर्स लीफ वार्बलर’ को आखिरी बार इटावा (7 अप्रैल, 1879 को) और गोरखपुर (18 फरवरी, 1910) में वापसी प्रवास के दौरान देखा गया था.'


उन्होंने बताया कि बिहार, पूरे देश में बर्ड रिंगिंग स्टेशन वाला चौथा राज्य बन गया है जहां पक्षियों के प्रवास, उनकी मृत्यु दर, उनके क्षेत्र तथा व्यवहार आदि के अध्ययन के लिए उनके पैरों में छल्ले लगाए जाते हैं.


गुप्ता ने कहा, 'बर्ड रिंगिंग एक उपयोगी अनुसंधान उपकरण है जिसका उपयोग प्रवासी पक्षियों और उनकी आवाजाही के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए किया जाता है, जिससे हमें उनकी आबादी पर नजर रखने में मदद मिलती है.'