Manipur Violence: बिहार के दो प्रवासी मजदूरों की मणिपुर में गोली मारकर हत्या, परिजनों की चीत्कार से गांव गमगीन
Labourers Murder: गोपालगंज से कई मजदूर मणिपुर काम करने दीपावली के बाद गए थे, जहां बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में इन्हें काम मिला था. हमलावरों ने इनमें से दो मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी.
Bihar Labourers Shot Dead In Manipur: मणिपुर में हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. बीते शनिवार को हमलावरों ने बिहार के दो प्रवासी मजदूरों की गोली मारकर हत्या कर दी है. ये दोनों मजदूर गोपालगंज जिले के रहने वाले थे. मृतकों की पहचान जादोपुर थाना क्षेत्र के राजवाही बिन टोली निवासी बिरेंद्र मुखिया के 19 वर्षीय पुत्र सोनालाल मुखिया और मोहन सहनी के 20 वर्षीय पुत्र दशरथ कुमार के रूप में की गई है. दोनों निर्माण श्रमिक थे और मैतेयी के प्रभुत्व वाले काकचिंग में किराए के मकान में रहते थे. वहीं, हत्या की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मचा है.
सोनेलाल मुखिया की मां के नहीं थम रहे आंसू
मणिपुर में जान गंवा चुके श्रमिक सोनेलाल मुखिया की मां लीलावती देवी कहती हैं, ' उनके पति बिरेंद्र मुखिया और उनका पुत्र सोनेलाल गांव के 10-12 लड़कों के साथ मणिपुर में कमाने गए थे. सपना था कि परिवार की माली हालत सुधार कर झोपड़ीनुमा घर से पक्का मकान बना सके. सोनेलाल की धूमधाम से शादी कर सके, लेकिन मणिपुर के अपराधियों ने इनके सपनों को हमेशा के लिए खामोश कर दिया और बीच सड़क पर गोली मारकर सोनेलाल मुखिया की हत्या कर दी.
हमले के दौरान सोनेलाल के पिता बाकी साथियों के साथ पीछे से पैदल आ रहे थे, इसलिए उनकी जान बच गई. सोने के पिता बिरेंद्र मुखिया ने जब परिजनों को फोन पर खबर सुनाई तो पूरा परिवार चीत्कार में डूब गया. अब प्रशासन और सरकार से स्थानीय लोग और परिवार शव को मंगाने के लिए गुहार लगा रहें हैं.
दशरथ सहनी की मां ने क्या कहा?
वहीं मणिपुर में अपराधियों के हमले का शिकार हुए दशरथ सहनी की मां राधिक देवी इंसाफ के लिए गुहार लगा रहीं हैं. दशरथ के साथ बड़ा भाई संतोष कुमार भी मणिपुर में काम करने गया था, लेकिन वह बाकी श्रमिकों के साथ पैदल किराए के मकान पर लौट रहा था, इसलिए उसकी जान बच गई. राधिका देवी बताती हैं कि सोनेलाल और दशरथ सहनी दोनों काम करके साइकिल से लौट रहें थे, जहां काकचिंग जिले में बीच सड़क पर उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
मृतक श्रमिक दशरथ सहनी के पिता मोहन सहनी का कहना है कि उनके छह बेटे हैं, जिनमें दो बेटे मणिपुर में काम करने के लिए गए थे. तीसरे नंबर के बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. उन्होंने कहा कि 500 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी पर काम करने दोनों बेटे गए थे, यहां काम मिल जाता तो आज जिंदगी भर का दर्द नहीं मिलता.
श्रमिकों के परिजनों में मची चीख-पुकार
बता दें कि राजवाही बिन टोली से 10 से 12 की संख्या में मजदूर मणिपुर के काकचिंग जिले में राजमिस्त्री का काम करने दीपावली के एक दिन बाद गए थे, जहां बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्य में इन्हें काम मिला था. शनिवार की शाम करीब 5.20 बजे काकचिंग-वाबागई रोड पर हमलावरों ने गोली मारकर दो लोगों की हत्या कर दी. इधर, डीएम प्रशांत कुमार सीएच ने इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर मृतकों के आश्रितों को मदद दिलाने का भरोसा दिलाया है.
बताया जाता है कि गंडक नदी की त्रासदी से परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी. राजवाही बिन टोली से राज मिस्त्री और निर्माण श्रमिक के रूप में कई मजदूर काम करने के लिए मणिपुर गए थे. इन प्रवासी श्रमिकों को पता नहीं था कि जातीय हिंसा से झुलस रहे मणिपुर में उनके साथ भी अनहोनी हो सकती है. दो श्रमिकों की हत्या के बाद से गंडक नदी के दियारा इलाके में बसे श्रमिकों के परिजनों में चीख-पुकार मची हुई है.
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