Rohtas News: बिहार में शराबबंदी को लेकर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं उन्होंने कहा है कि शराबबंदी के नाम पर गरीबों को सताया जा रहा है. शराबबंदी के चलते विषैली शराब का निर्माण अधिक हो रहा है, साथ ही सरकार ने शराबबंदी की जब तीसरी बार समीक्षा की तो यह निर्णय लिया गया कि शराब पीने के उद्देश्य से अगर कोई शराब ले कर जा रहा है, तो उसे गिरफ्तार नहीं किया जाएगा, लेकिन फिर भी गिरफ्तारी हो रही है.


'सही तरीके से धरातल पर नहीं उतरा कानून'


उन्होंने सासाराम में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कानून बना है, लेकिन कानून को सही तरीके से धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है. वह सासाराम में पिछले महीने के 31 अगस्त को लोग जनशक्ति पार्टी रामविलास के कार्यकर्ता सरोज पासवान की हत्या के बाद उनके परिजनों से मिलने पहुंचे थे. बाद में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि शराबबंदी अच्छी चीज है, शराब नहीं पीना चाहिए, लेकिन शराबबंदी की आड़ में गरीबों को आज भी सताया जा रहा है.


पहले भी कई बार उठा चुके हैं सवाल 


उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून में जो विकृतियों हैं, उसे दूर करना जरूरी है, क्योंकि शराब बनाने की एक प्रक्रिया है, जिसमें हफ्तों लग जाते हैं, लेकिन धंधेबाज मात्र एक घंटे में शराब बना रहे हैं. ऐसे में वह शराब ज्यादा नुकसानदायक है. जो खासकर गरीबों के जीवन को बर्बाद कर रही हैं. उन्होंने सरकार से शराबबंदी कानून की पुनः समीक्षा की बात कही. बता दें कि जीतन राम मांझी पहले भी कई बार शराबबंदी पर सवाल उठा सकते हैं. उन्होंने कहा था कि रात में थोड़ी पीने में कोई हरज नहीं है. मांझी का कहना है कि शराबबंदी से संबंधित ज्यादातर मामलों में गरीबों को ही जेल होती है. उपरी स्तर पर कोई कार्रवाई नही होती. 


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