'फिर जेल जा सकते हैं...', मनीष सिसोदिया पर ऐसा क्यों बोल गए जीतन राम मांझी?
Minister Jitan Ram Manjhi: मनीष सिसोदिया को बेल दिए जाने पर जीतन राम मांझी ने कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया है. बेल मिला है. इसका मतलब ये नहीं कि वे दोष मुक्त हो गए हैं.
Jitan Ram Manjhi On Manish Sisodia Bail: जीतन राम मांझी ने मनीष सिसोदिया पर बड़ा बयान दिया है. दिल्ली से पटना पहुंचे केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी से मीडिया कर्मियों ने पूछा कि मनीष सिसोदिया को बेल मिल गई है. आम आदमी पार्टी के नेता बोल रहे हैं कि साजिश के साथ केजरीवाल को फंसाया जा रहा है, इस पर जवाब में मांझी ने कहा कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है. इस पर कुछ कहने की बात नहीं है, न्यायालय का मामला है.
हालांकि मांझी ये भी कहा कि कानूनी प्रक्रिया के तहत जेल गए थे, कानूनी प्रक्रिया के तहत बाहर आए हैं. बेल हो जाना यह मतलब नहीं होता है कि दोष मुक्त हो गए. बेल होने के बाद कोई भाषण देना या राजनीति करना उचित नहीं है. कुछ बातें होंगी तो फिर जेल जा सकते हैं.
चिराग पासवान पर क्या बोले मांझी?
केंद्र सरकार के कैबिनेट में यह कहा जाना कि क्रीमी लेयर नहीं हो सकता है, इस पर उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर और कोटे में कोटा दो अलग बातें हैं. चिराग पासवान के बिना नाम लिए कहीं ना कहीं जीतन राम मांझी पर कहा जाना की आज भी मंदिर जाने पर मंदिरों को धोया जाता है, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह सामाजिक बात है और यह दूसरी बात है, लेकिन बाबा साहब ने कहा था कि आरक्षण पर हर 10 साल के बाद पुनर्विचार होना चाहिए. इस पर वह क्यों नहीं बोलते.
एससी एसटी पर सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश पर केंद्र सरकार ने कहा है कि कोई क्रीमी लेयर या कोटे में कोटा नहीं हो सकता है, जिस पर उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर और कोटा में कोटा दो बात है. हम भी मंत्रिमंडल में थे हमारी बातें भी हुई है, क्रीमी लेयर नहीं होना चाहिए या प्रधानमंत्री का निर्णय सही है. शेड्यूल कास्ट के जो लोग हैं, उसमें क्रीमी लेयर करके जैसा कि ओबीसी में है वैसा नहीं होना चाहिए, लेकिन समाज में कुछ वैसे लोग हैं जो आज भी हाशिये पर हैं.
'हर जगह सिर्फ चार जातियों का प्रेजेंटेशन'
76 बरस के बाद भी उनके लिए व्यवस्था होनी चाहिए. इसी के लिए कहा गया है कोटा में कोटा किया जाए. हमारा मानना है कि शेड्यूल कास्ट में बिहार में 21 जातियां हैं. आज देखा जाता है कि जज हो, कलेक्टर हो, इंजीनियर हो, बैंक में हो, रेलवे में हो सब में प्रेजेंटेशन की बात कही जाएगी तो चार जातियां वही 90% भाग लिए हुए हैं. जनसंख्या के आधार पर अति पिछड़ों और दलितों को आज तक आरक्षण नहीं मिला है. इसलिए हम लोगों की मांग है कि इनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. क्रीमी लेयर की बात ना कीजिए, लेकिन जिसकी जितनी जनसंख्या है उनको उतना आरक्षण मिलना चाहिए.
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