Bihar Unique Mosque: बिहार की इस मस्जिद में क्यों नहीं पढ़ी जाती नमाज? आज भी कम लोग जानते हैं ये बात
Bihar Mosque News: मस्जिद की दीवारों पर उकेरी गई नक्काशी उस दौर के वास्तुकला की विशेषताओं को दर्शाता है. यह मस्जिद बिहार के रोहतास में स्थित है. पढ़िए इससे जुड़ी जानकारी.
Unique Mosque in Rohtas Bihar: बिहार में एक ऐसी मस्जिद है जहां नमाज नहीं पढ़ी जाती है. सुनकर थोड़े देर के लिए आप जरूर सोचने लगेंगे, लेकिन यह सच्चाई है. बिहार के रोहतास जिले में यह मस्जिद है जहां आज तक नमाज नहीं पढ़ी गई. इसके पीछे कई कारण माने जाते हैं. पढ़िए उस मस्जिद से जुड़ी कुछ इतिहास की बातें और नमाज नहीं पढ़ने के पीछे क्या कुछ चर्चाएं हैं.
औरंगजेब ने करवाया था इस मस्जिद का निर्माण
दरअसल ये मस्जिद मां ताराचंडी धाम परिसर में है. कहा जाता है कि इस मस्जिद के निर्माण के बाद से अब तक यहां नमाज नहीं पढ़ी गई. इसका निर्माण मुगल शासक औरंगजेब ने करवाया था. औरंगजेब ने जब देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिरों को नष्ट करने का अभियान चलाया तो वह सासाराम के मां ताराचंडी मंदिर भी पहुंचा था लेकिन उसके मंसूबों पर पानी फिर गया. वह इस मंदिर को तोड़ने में सफल नहीं हो सका.
बताया जाता है कि औरंगजेब की ओर से बनवाई गई यह मस्जिद उस समय की इस्लामी कला और निर्माण शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है. मस्जिद की दीवारों पर उकेरी गई नक्काशी उस दौर के वास्तुकला की विशेषताओं को दर्शाता है. मस्जिद का निर्माण जिस काल में हुआ था वह समय धार्मिक सहिष्णुता और सामाजिक समरसता का था. शेर शाह सूरी ने अपने शासनकाल में हिंदू-मुस्लिम एकता को बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे और यह मस्जिद उसी भावना का प्रतीक है.
क्या है मां ताराचंडी के मंदिर का धार्मिक महत्व?
हिंदू धर्म में मां ताराचंडी का मंदिर विशेष स्थान रखता है. भक्तों का मानना है कि यहां मां तारा का पवित्र रूप विराजमान है. श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर के गर्भगृह में मां तारा की पवित्र मूर्ति स्थापित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ताराचंडी की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख-दर्द समाप्त हो जाते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है.
नमाज अदा नहीं करने के पीछे क्या है कारण?
नमाज अदा नहीं करने के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं. इतिहासकार डॉ. श्याम सुंदर तिवारी के अनुसार एक तो यह कि यह स्थान मुख्य रूप से हिंदू धार्मिक स्थल है. उन्होंने कहा कि 1679 ई में निर्माण हुआ था. बहुत छोटी मस्जिद है. आज तक यहां किसी ने नमाज अदा नहीं की. वजह यही है कि आज जो ताराचंडी मंदिर बन चुका है यह प्राचीन स्थल था और उसके ठीक ऊपर मस्जिद बना देना मुझे लगता है कि मुस्लिम भाइयों को अच्छा नहीं लगा होगा, इसलिए नमाज नहीं पढ़ी जाती होगी.
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