सुपौल: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बिहार में कहर बरपा रही है. रोजाना हजारों नए मामले सामने आ रहे हैं. ऑक्सीजन की कमी की वजह से कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही है. कोरोना मरीजों के बीच ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है. सरकार बाहर से लिक्विड ऑक्सीजन मंगवा रही है. हालांकि, जो संसाधन पहले से मौजूद हैं, उनका उपयोग नहीं किया जा रहा हैं. बिहार के सुपौल जिले के सदर अस्पताल में छह वेंटिलेटर 10 महीने से पड़े-पड़े जंग खा रहे हैं, लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं है.
मरीजों को डीएमसीएच किया जा रहा रेफर
सुपौल में रोजाना 60 अधिक कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं. लेकिन उनका इलाज करने के बजाय सदर अस्पताल के डॉक्टर उन्हें डीएमसीएच रेफर कर दे रहे हैं. इस वजह से डीएमसीएच दरभंगा पर अतिरिक्त बोझ तो बढ़ ही रहा है, वेंटिलेटर के अभाव में मरीज मौत के मुहाने पर भी खड़े हैं.
बता दें कि सुपौल सदर अस्पताल में कोरोना और दूसरे बीमारी के गंभीर मरीजों के इलाज के लिए जून, 2020 में ही छह नए वेंटिलेटर मंगाए गए थे. लेकिन, इसे अभी तक इंस्टॉल नहीं किया गया है. मशीन सदर अस्पताल में पैक कर रखी हुई है. अभी तक न तो ऑक्सीजन पाइप लाइन बिछाई गई और न ही इसे चलाने के लिए टेक्नीशियन को दक्ष किया गया है.
प्रधानमंत्री केयर फंड से उपलब्ध कराई गई थी मशीन
दरअसल, जून 2020 के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री केयर फंड से सदर अस्पताल सुपौल को पहले चरण में छह वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध कराई गई थी. स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के गंभीर मरीजों को देखते हुए यह सुविधा जिलास्तर पर दी थी. लेकिन अब तक इसके सेवा की शुरुआत नहीं की गई है.
बता दें कि सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में वेंटिलेंटर इंस्टॉल करने से पहले वहां ऑक्सीजन पाइन लाइन लगाई जानी है. इसके लिए विभाग को पत्र भी लिखा गया है. लेकिन विभाग की ओर से अभी तक एजेंसी तय नहीं किया गया है, जिस वजह से काम रुक हुआ है.
अस्पताल मैनेजर ने कही ये बात
इस संबंध में अस्पताल मैनेजर अभिलाष वर्मा ने बताया कि 10 महीने पहले सदर अस्पताल में छह मशीनें आई थीं, जिसे इमरजेंसी वार्ड में लगाया जाना था. इसके लिए अलग से कमरे (वार्ड) का चयन कर लिया गया है. अब एक साथ छह मरीजों को वेंटिलेटर पर रखा जा सकता है. विभाग को पत्र लिखा गया है. मैनेजर ने बताया कि इसके लगने से गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों को समय रहते बेहतर उपचार मिलेगा.
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