पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस के 70 प्रत्याशियों में से लगभग 15 फ़ीसदी यानी एक ग्यारह ऐसे प्रत्याशी थे जो किसी न किसी पुराने कांग्रेसी नेता के उत्तराधिकारी या करीबी थे इनमें कई सीटिंग विधायक भी थे. इनमें से 10 प्रत्याशियों को जनता का मत नही मिला मिली तो करारी हार. जनता का मत मिला तो एकमात्र पूर्व मंत्री दिलकेश्वर राम के बेटे राजेश कुमार को कुटुंबा से जो पिछली बार के सिटिंग विधायक रहे हैं. इनके अलावे पार्टी के दो सिटिंग विधायक सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद मुकेश ने कहलगांव से और अवधेश कुमार के बेटे डॉ शशि शेखर ने वजीरगंज से चुनाव लड़ा था लेकिन इन दोनों को हार मिली. पूर्व मंत्री बालेश्वर राम के बेटे डॉ अशोक कुमार जो इस बार कुशेश्वरस्थान से चुनाव लड़ रहे थे उन्हे भी हार का सामना करना पड़ा. पिछले चुनाव में डॉ अशोक कुमार को रोसड़ा से जीत मिली थी. इस बार नया चेहरा कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा इस बार अपने बेटे लव सिन्हा को बांकीपुर के टिकट दिलाने में सफल तो जरूर हुए लेकिन बेटे को जीत नहीं दिला सके. पूर्व सांसद चंद्रभानु देवी की बेटी अमिता भूषण बेगूसराय से चुनावी मैदान में थी जो पूर्व मंत्री जुगेश्वर झा की बेटी और सिटिंग विधायक भावना बेनीपट्टी से पूर्व मंत्री विपिन बिहारी के पोते विनय शर्मा नरकटियागंज से पूर्व विधान पार्षद तानेश्वर आजाद के बेटे नागेंद्र विकल रोसड़ा से पूर्व सांसद कीर्ति आजाद के रिश्तेदार मिथिलेश चौधरी बेनीपुर से और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार के भतीजे राकेश उर्फ पप्पू लालगंज से चुनाव में हार गए.
बिहार में जनाधार को तलासती कांग्रेस के दिग्गजों के परिजनों की इस हार ने पार्टी के अस्तित्व पर हीं प्रश्न चिन्ह लगा दिया है.