बिहार: लॉकडाउन में किराएदारों ने जब खाली किया कमरा, तब मकानमालिक मशरूम की खेती कर बन रहे आत्मनिर्भर
कोरोना काल से पहले मकान किराएदारों से भरा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण सामने आई आर्थिक संकट के कारण किराएदार खुद को किराया देने में असमर्थ होता देख मकान खाली कर वापस अपने गांव चले गए. ऐसे में मकानमालिक को भी आर्थिक संकट आन पड़ी क्योंकि किराये के पैसे से ही उनका गुजारा होता था.
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गया: कोरोना ने देश भर में लोगों की जिंदगी बदल दी है. कोरोना काल में आर्थिक परेशानी की वजह से लोग जीवन यापन के नए-नए तरकीब अपना रहे हैं. इसी क्रम में बिहार के गया के डेल्हा मोहल्ले में कोरोना काल में किराएदारों द्वारा कमरा खाली करने के बाद अब मकानमालिक मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं.
इस संबंध में उनका कहना है कि कोरोना काल से पहले मकान किराएदारों से भरा था, लेकिन लॉकडाउन के कारण सामने आई आर्थिक संकट के कारण किराएदार खुद को किराया देने में असमर्थ होता देख मकान खाली कर वापस अपने गांव चले गए. ऐसे में मकानमालिक को भी आर्थिक संकट आन पड़ी क्योंकि किराये के पैसे से ही उनका गुजारा होता था.
इधर, मकान खाली होने के कुछ दिनों बाद लॉकडाउन में बाहर से आए उनके बेटे ने पास के ही संस्था से मुलाकात की और वहीं आईडिया मिला कि कमरे में मशरूम की खेती की जाए. उसके बाद वे अपने तीन मंजिला मकान के सभी कमरे में मशरूम की खेती कर रहे है. यहां तक कि खाली पड़े किचेन में भी मशरूम का थैला लगा रखा है.
समर्थ संस्था के चेयरमैन प्रभात कुमार ने बताया कि नाबार्ड की सहायता से गया के कई गांवों में मशरूम की खेती की शुरुआत कराई गई थी. इस बार कोरोना के चलते हमलोगों ने सोचा कि गांव के बदले शहर में मशरूम की खेती की शुरुआत कराई जाए. चूंकि लॉकडाउन में शहरों के कई मकान खाली हो चुके हैं. इसलिए लोगों से इन कमरों में मशरूम लगाने का अनुरोध किया गया.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग सामने भी आए और अपने घरों में मशरूम उगा रहे हैं, जिसके बाद कई लोगों ने खाली पड़े अपने घरों में मशरूम की खेती शुरू की है. एक कमरे से जहां 2000 रुपये महीने किराया के दर से साल में 24 हजार रुपया आता है उसी कमरे से मशरूम की खेती कर 30 हजार रुपये महीना तक कमाई होगी.
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