मोतिहारीः पूर्वी चंपारण के कई प्रखंडों में यूरिया की किल्लत देखी जा रही है. इसका मूल कारण है कि जिले में थोक विक्रेताओं द्वारा मनमाने तरीके से इसे खुदरा विक्रेताओं को बेचा जा रहा है. कीमत को लेकर की जा रही मनमानी की वजह से खुदरा व्यवसायियों को समस्या हो रही है जिसकी वजह से वह खाद नहीं खरीदना चाह रहे हैं. खुदरा व्यवसायियों ने इसके खिलाफ अब मोर्चा खोल दिया है.


बताया जा रहा है कि जिले में यूरिया तो है लेकिन खुदरा व्यवसायी खरीद नहीं रहे हैं. इस संबंध में खुदरा उर्वरक व्यवसायी संघ के अध्यक्ष राजीव रंजन ने बताया कि यूरिया के लिए थोक विक्रेता द्वारा 243 रुपया का बिल दिया जा रहा है जबकि उनसे 263 रुपया लिया जाता है. खुदरा विक्रेता को 266.50 पैसा में यूरिया बेचना है, ऐसे में इतने कम मुनाफे पर बेचने से क्या लाभ होगा. इससे दुकान का किराया भी नहीं निकलेगा. इसके अलावा कई तरह के अन्य खर्च भी हैं.


दाम तय नहीं करने के पीछे घपलेबाजी की वजह


दरअसल, किसानों के लिए सरकार द्वारा उर्वरक बिक्री का एक निर्धारित दर तय कर दिया गया है लेकिन थोक विक्रेताओं से खुदरा विक्रेताओं के बीच इसके लिए कोई दर तय नहीं किया गया है. इस कारण थोक विक्रेता उर्वरक के लिए खुदरा विक्रेता को मजबूर कर रहे हैं. संघ के अध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि थोक और खुदरा विक्रेताओं के बीच दाम तय नहीं करने के पीछे की वजह घपलेबाजी है.


थोक विक्रेताओं की मनमानी से निजात की मांग


मगध प्रमंडल के संयुक्त निदेशक ने सरकार के आदेश से एक कदम आगे बढ़कर एक आदेश निकाला है जिसमें खुदरा और थोक विक्रेताओं के बीच उर्वरक बेचने का एक निश्चित दर तय कर दिया गया है. इससे प्रमंडलीय क्षेत्र में उसी दर से थोक विक्रेता खुदरा विक्रता को उर्वरक उपलब्ध करा रहे हैं ताकि बिचौलियों का खेल न हो सके. उनके आदेश का पत्र उर्वरक व्यवसायियों के बीच वायरल हो गया. अब ठीक उसी तरह खुदरा विक्रेता इस जिले में भी मांग कर रहे हैं ताकि उन्हें थोक विक्रेताओं की ओर से की जा रही मनमानी से निजात मिल सके.


जानकारी के अनुसार, जिले के पकड़ीदेयाल, फेनहारा, मधुबन, पताही समेत भारत-नेपाल सीमा के रक्सौल, आदापुर, छौरादानो, बनकटवा, घोड़ासहन, ढाका समेत कई प्रखंड में यूरिया खाद नदारद है. इस मामले में जिला प्रशासन भी मौन है. वहीं दूसरी ओर किसानों को परेशानी हो रही है.


जिसे मुनाफा नहीं हो रहा वह सरेंडर कर दे अनुज्ञप्ति


इस पूरे मामले पर जिले के कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद ने कहा कि किसानों को जीरो टॉलरेंस की नीति के आधार पर उर्वरक उपलब्ध कराया जा रहा है. यह बात भी सही है लेकिन वह थोक और खुदरा विक्रेताओं के बीच जो उर्वरक के दामों को लेकर जवाब नहीं दे पाए. उन्होंने कहा कि थोक विक्रेताओं के दर को सरकार द्वारा मूल्य निर्धारित नहीं किया गया है. वो किस दर से खुदरा उर्वरक खुदरा व्यवसायी को दे रहे हैं इससे उन्हें कोई लेना-देना नहीं है. कहा कि यदि किसी को मुनाफा नहीं हो रहा है तो अनुज्ञप्ति सरेंडर कर दे.


बता दें कि उर्वरक का थोक दर निर्धारित नहीं होने के कारण जिले के सभी खुदरा विक्रेताओं ने विभाग के अधिकारियों और बिचौलियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी को लेकर मंगलवार को शहर के नरसिंह बाबा मंदिर के प्रांगण में खुदरा विक्रेताओं की बैठक हुई. इस दौरान पदाधिकारी समेत थोक विक्रेताओं पर कई तरह के आरोप लगाए.


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