Bihar News: आरा से क्यों हार गए 'काम' के राजकुमार, 35 साल का सूखा समाप्त करने वाले सुदामा ने कैसे दी आरके सिंह को मात?
RK Singh: इस चुनाव में स्मृति ईरानी समेत कई मंत्रियों को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है, लेकिन काम की बदौलत और विकास के नाम पर चुनावी मैदान में उतरे आरके सिंह की शिकस्त लोगों के गले नहीं उतर रही.
Lok Sabha Election Results 2024: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह, जिसे आरा की जनता नाम के ही नहीं काम के भी 'राजकुमार' मानती थी. वो सीपीआईएमएल के सुदामा प्रसाद के हाथों लोकसभा चुनाव हार गए. आरा सीट पर माले के लिए 35 साल का सूखा समाप्त करने वाले सुदामा प्रसाद ने आरके सिंह को 59 हजार 808 वोटों से हरा दिया है, लेकिन आरा सहित बिहार भर में सुदामा की जीत से ज्यादा आरके सिंह की हार की चर्चा हो रही है.
एनडीए दलों की एकजुटता पर सवाल
पूर्व नौकरशाह और केंद्रीय मंत्री आरके सिंह की हार को लेकर कई तरह की चर्चा की जा रही है. कोई जमीन से जुड़ा नेता नहीं मान रहा तो कोई जातीय समीकरण की दलील दे रहा. कोई ब्यूरोक्रेट की छवि को गलत बता रहा तो कोई चुनावी प्रबंधन को दोषी मान रहा है. कई लोग एनडीए दलों की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहे तो कई लोग पार्टी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं पर खरा नहीं उतरना आरके सिंह के खिलाफ मान रहे हैं. हालांकि ज्यादातर लोग आरके सिंह के स्वजातीय और राजपूत जाति से आने वाले भोजपुरी के सुपर स्टार पवन सिंह को राजकुमार सिंह की हार की सबसे बड़ी वजह बता रहे हैं.
दरअसल, ऐसी चर्चा है कि आरा में रेल, सड़क, बिजली, पब्लिक सेक्टर और स्वास्थ्य समेत हर क्षेत्र में अभूतपूर्व काम करने वाले केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह की हार जातीय समीकरण को नहीं साधने के कारण हुई है. काराकाट में RLM अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ बीजेपी से बेटिकट हुए पवन सिंह के निर्दलीय चुनाव लड़ने के कारण बड़ी संख्या में कुशवाहा ने आरा में आरके सिंह को वोट नहीं दिया. इसके ठीक उलट इंडिया गठबंधन के कोर वोटर की एकजुटता के कारण सुदामा प्रसाद को आरके सिंह से ज्यादा वोट मिले.
अनुमान है कि आरा लोकसभा में आने वाले 7 में से 5 विधानसभा तरारी, अगिआंव, संदेश, शाहपुर और जगदीशपुर में सुदामा प्रसाद के वोटर एकजुट रहे. कुशवाहा बहुल वाले जगदीशपुर में पवन सिंह की वजह लोगों ने आरके सिंह को विकास के बावजूद वोट नहीं दिया. राजपूत बहुल और 2020 में एनडीए के खाते में जाने वाली आरा और बड़हरा सीट पर आरके सिंह को ज्यादा वोट मिलने की संभावना है.
जबरदस्त भितरघात और गुटबाजी बनी वजह?
आरा में बीजेपी के भीतर जबरदस्त भितरघात और गुटबाजी को भी लोग बड़ी वजह बता रहे. लोकसभा क्षेत्र में आम जनता से कम मिलना और अपने इर्दगिर्द रहने वाले पार्टी या संगठन के सीमित कार्यकर्ताओं पर ज्यादा निर्भरता लोग आरके सिंह के डूबने की वजह बता रहे हैं. पूर्व नौकरशाह आरके सिंह की अकड़ वाले व्यवहार और एनडीए के सहयोगी दलों के नेताओं को तवज्जों न देना भी कार्यकर्ताओं को रास नहीं आया.
विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे आरके सिंह के खिलाफ पार्टी के अंदर गुटबाजी और गोलबंदी का असर चुनाव के समय ही दिखने लगी थी, जब बड़े-बड़े नेताओं की रैलियों में भीड़ नहीं जुट रही थी. यहां तक कि डोर टू डोर कैंपेन के लिए आरके सिंह से नाराज BJP कार्यकर्ता भी नहीं जुट रहे थे. बड़ी संख्या में एनडीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आरके सिंह से दूरी बना ली थी. संगठन का साथ नहीं देना ओवरकंफिडेंट कैंडिडेट आरके सिंह की जीत में रोड़ा बनी और माले के सुदामा प्रसाद 35 साल बाद आरा में कमल को कीचड़ में गाड़कर जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे.
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