अब चुनावी राज्यों का मार्गदर्शन करेगा बिहार, कोरोना के बीच करा चुका है विधानसभा चुनाव
बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए प्रशासन ने 7.3 करोड़ मतदाताओं के लिए 1.06 लाख से अधिक मतदान केन्द्र बनाए थे. स्वास्थ्य विभाग की टीम अब अपना अनुभव साझा करेगी.
पटना: कोविड-19 महामारी के बीच विधानसभा चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न कराने वाली बिहार सरकार चार राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में आसन्न चुनावों के मद्देनजर उनका मार्गदर्शन करेगी. बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने बुधवार को बताया कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम और पुडुचेरी, के अधिकारियों ने कोविड-19 मरीजों की संख्या में वृद्धि के बीच सफलता से चुनाव कराने के संबंध में सलाह के लिए विभाग से संपर्क साधा है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में असम सरकार का अनुरोध स्वीकार करके बिहार के स्वास्थ्य विभाग की टीम जल्द ही वहां जाएगी और कोविड-19 दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए विधानसभा चुनाव कैसे कराए गए, इसपर अपना अनुभव साझा करेगी.
अमृत ने, ''बिहार को पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से भी समान अनुरोध प्राप्त हुए हैं. हम सभी के साथ अपना अनुभव साझा करेंगे.'' अक्टूबर-नवंबर, 2020 में 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कार्य पद्धति की सराहना की थी. बिहार में पंजीकृत 7.3 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 57.34 प्रतिशत (चार करोड़ से अधिक) ने विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जो पिछले विधानसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत (56.8) से अधिक था. अमृत ने कहा, ''यह (विधानसभा चुनाव) बड़ी चुनौती थी. सभी कर्मचारियों की कड़ी मेहनत, भारत निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के समर्थन के कारण हम लक्ष्स को पा सके.''
बिहार में चुनाव के लिए की गई थी ये तैयारियां
प्रशासन ने 7.3 करोड़ मतदाताओं के लिए 1.06 लाख से अधिक मतदान केन्द्र बनाए. मतदान और सुरक्षा कर्मियों के लिए 18 लाख फेस शील्ड, 70 लाख मास्क, 5.4 लाख सिंगल यूज़ रबर के दस्ताने खरीदे थे और मतदाताओं के लिए 7.21 करोड़ एक हाथ से इस्तेमाल होने वाले पॉलिथीन दस्ताने खरीदे थे. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि 10 लाख से अधिक आशा कार्यकर्ता और जीविका दीदियों को तीन नोडल केंद्रों पटना, मुजफ्फरपुर और पूर्णिया में किट के लिए खरीदी गयी सामग्रियों की पैकेजिंग के लिए लगाया गया था. मतदान केंद्रों पर थर्मल स्कैनिंग के लिए एएनएम, पैरामेडिक्स और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया.
इतनी बड़ी मात्रा में सुरक्षा किटों की आपूर्ति के लिए उनके जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन की भी प्रभावी आवश्यकता थी. हर मतदान केंद्र पर कचरा संग्रह के लिए पीले बैग और डिब्बे थे. मतदान के दिन दो बार कचरे को इकट्ठा करने के लिए ट्रकों की व्यवस्था की गई थी. अपशिष्ट पदार्थ मानक प्रोटोकॉल के अनुसार निकटतम नियत स्वास्थ्य सुविधा वाली जगहों पर जमा किए गए थे और बाद में उनका निपटान किया गया था.
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