सुपौल: बिहार के सरकारी अस्पतालों के कुव्यवस्था की खबर आए दिन सुर्खियां बटोरती हैं. इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन है, जो जगने का नाम नहीं ले रहा. ताजा मामला बिहार के सुपौल जिले के त्रीवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का है, जहां बुधवार को गंभीर रूप से घायल शख्स इलाज के लिए ऑटो में तड़पता रहा, लेकिन घंटों डॉक्टरों ने सुध नहीं ली. काफी हल्ला हंगामा के बाद डॉक्टर पहुंचे और एक सुई देकर शख्स को बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर रेफर कर दिया. 


हादसे में घायल होने के बाद पहुंचे थे अस्पताल


इधर, ऑटो पर दर्द से कराहते मरीज को अस्पताल की सुरक्षा में तैनात निजी सुरक्षाकर्मी ने टांका लगाया, जिसके बाद परिजन मरीज को बेहतर इलाज के लिए दूसरे अस्पताल ले गए. दरअसल, बुधवार को त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के खट्टर चौक पर ऑटो और बाइक में भीषण टक्कर हो गई थी, जिसमें तीन लोग जख्मी हो गए. 


घायलों में एक की स्थिति गंभीर थी, इसलिए परिजन उसे ऑटो से त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे. घंटों दर्द से कराहने के बाद डॉक्टर मरीज को देखने अपने चेम्बर से बाहर निकले और ऑटो में ही इलाज शुरू कर दी. इलाज के नाम पर महज दर्द का इंजेक्शन देकर, उन्होंने मरीज को बिना एम्बुलेंस के रेफर कर दिया. 


घायल के बेटे ने की शिकायत


घायल शख्स की पहचान त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र के डपरखा पंचायत निवासी जितेंद्र सरदार(45) के रूप में की गई है. इस पूरे मामले में जितेंद्र के बेटे ने कहा कि अस्पताल में मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है. डॉक्टर ने सिर्फ़ एक सुई देकर रेफर कर दिया और कहा कि निजी एम्बुलेंस बुक कर, बेहतर इलाज के लिए बाहर ले जाएं.


डॉक्टर का गैर जिम्मेदाराना बयान


इधर, जब इलाज कर रहे डॉक्टर उमेश कुमार मंडल से इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि एम्बुलेंस किसी दूसरे पेसेंट के साथ है, इसलिए एम्बुलेंस नहीं दी गई. पेशेंट की स्थिति गंभीर थी, ऐसे में उसे ऑटो से नीचे नहीं उतारा. ऑटो पर ही इलाज किया और फिर रेफर कर दिया.


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