पटना : बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद जहां एक तरफ एनडीए में ताजपोशी की तैयारी हो रही है वहीं दूसरी तरफ पार्टी के वरीय अब इस समीक्षा में जुट गए हैं कि जिन सीटों पर उन्हें शिकस्त मिली और महागठबंधन को बढ़त मिली उसकी वजह क्या है. इस आत्ममंथन में जुटे जेडीयू और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अब इस बात की तैयारी करने लगे हैं की हार पर एक समीक्षात्मक बैठक की जाए और उन सीटों पर जिन पर महागठबंधन को बढ़त मिली है उन क्षेत्रों की पराजय की वजह जानी जाए.बताते चलें कि 17वीं बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं वहीं महागठबंधन को 110 सीटें और एलजेपी को 1 जबकि अन्य के खाते में 7 सीटें गई हैं. बिहार के चुनाव नतीजों पर गौर करें तो एनडीए में बीजेपी के खाते में सबसे ज्यादा सीटें गई हैं. बिहार के चुनाव में बीजेपी को 74 सीटें हासिल हुई हैं. वहीं जनता दल यूनाइटेड के खाते में 43 सीटें गई हैं. इस बार के चुनाव में वीआईपी को 4 हम को 4 सीट मिली है. इस बार के बिहार विधान सभा चुनाव में महागठबंधन से बीजेपी को कड़ी टक्कर मिली है क्योंकि हार के बाद भी आरजेडी सबसे बड़े बहुमत से जीतने वाली पार्टी बन गई है तो ऐसे में पार्टी के आलाकमानों की चिंता जाहिर सी बात है.


क्या है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का फ्यूचर प्लान


बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने जीत पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जीत को लेकर सिर्फ मेरे नही बिहार की जनता के चेहरे पर सूकून आया है , कि अब वो शांति से परिवार के साथ रहेंगे. इस जीत के साथ बीजेपी 36 सीट पर हारी है और अब उन सीट पर मैं सबसे पहले जाऊंगा, छठ पूजा के बाद 22 नवंबर से उन वजहों को जानने में लग जाऊंगा कि आखिर क्यों उन सीटों पर हमारी हार हुई. बिहार में धोखे का narrative सेट किया जा रहा था वो नही चलेगा. बहुत लोग इसमें लगे थे. अब बिहार के लिये सोचना है. south west बिहार में कमी रही है उस पर मंथन होगा. जहां तक सवाल इस बात की है कि सरकार का गठन कब होगा तो वो पार्लियामेन्ट्री बोर्ड तय करेगी कि सरकार कब बनेगी. मैने अपना काम कर दिया. आगे भी हार के लिए मंथन जारी रहेगी.


जेडीयू के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने कही ये बातें


जेडीयू के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष असोक चौधरी से जब फ्यूचर प्लान को लेकर एबीपी की टीम ने बात की तो उन्होने कहा कि हमारे खिलाफ बहुत लोग लड़ रहे थे,जो सिर्फ इस बात के लिए लड़ रहे थे कि राजनीति में नीतीश कुमार को शिकस्त मिले. हमें लगता है कि हम और बेहतर कर सकते थे.जिस तरह की मेजोरिटी आयी है उससे ज्यादा की उम्मीद हमलोगों ने थी, 125 कभी नही सोचा था. फर्स्ट फेज़ के चुनाव में हम लोगों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा.हमें ये समझ नही आता की नीतीश कुमार के आगे तेजस्वी यादव को लोगों ने पहले फेज़ में क्यों स्वीकार किया.तो हमारी पहली प्राथमिकता होगी कि जिन सीटों पर हमें शिकस्चत मिली है उनकी समीक्षा की जाए.एनडीए में जीत के बाद बड़े भाई और छोटे भाई की बहस के मुद्दे पर अशोक चौधरी ने कहा कि कल से बड़े भाई छोटे भाई की बात हो रही है,मगर सच तो ये है कि चुनाव तो नीतीश कुमार के चेहरे पर लड़ा गया और कहा गया की जैसे उन्होने जैसे बिहार को चलाया है वैसे हीं आगे चलायेंगे. इसमें कहां कोई कंफ्यूजन है.जहां तक मुख्यमंत्री की बात है तो चेहरा तो इन्हीं का होगा.
एनडीए के मंथन के बीच अब नई सरकार के गठन और तमाम मुद्दों पर पार्टी की कार्यकलाप जारी रहेगी मगर इन सबके बीच अपनी हार की वजह भी जानना और उसपर आत्ममंथन करना पार्टी के लिए सबसे जरुरी टास्क होगा.