पटना: बिहार में 1,800 स्वास्थ्य केंद्र को बंद किया जा सकता है. मंगलवार को बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Bihar State Pollution Control Board) ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए केंद्रों को बंद करने का नोटिस जारी करने की बात कही. उधर, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक महीने पहले ही अधिकारियों को अस्पतालों में साफ-सफाई की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए 60 दिनों की मौहलत दी थी. अस्पताल की बेसिक जरूरतों को पूरा करने का निर्देश दिया था. वहीं अब बीएसपीसीबी 1,800 स्वास्थ्य केंद्र द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट में फेल होने पर नोटिस जारी कर रहा है.
15 दिनों के अंदर आदेशों का पालन नहीं किया तो करेंगे बंद
इस मामले को लेकर राज्यों के डीएम को सचेत नोटिस भी भेजा जा रहा. इन स्वास्थ्य केंद्रों में बायो मेडिकल कचरे के निपटारे के लिए निर्धारित मानदंडों का पालन नहीं किए जाने पर बीएसपीसीबी ने कड़ी आपत्ति जताई है. बीएसपीसीबी के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने कहा कि निर्धारित नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए 15 दिनों की मोहलत के साथ बंद करने का प्रस्तावित निर्देश दिया जा रहा है. कहा कि अगर 1800 स्वास्थ्य केंद्र सीबी डब्ल्यूटीएफ, सामान्य जैव-चिकित्सा में वैज्ञानिक भण्डारण, परिवहन और उपचार से संबंधित मानदंडों का पालन करने में विफल हुए तो बीएसपीसीबी उनको बंद कर देगा.
स्वास्थ्य इकाइयों की बिजली भी काटी जाएगी
इसके साथ ही अध्यक्ष ने कहा कि बिजली वितरण कंपनियों से भी इन स्वास्थ्य इकाइयों को दी जाने वाली बिजली को बंद करने के लिए भी बोर्ड अनुरोध करेगा. कहा कि खासकर राजधानी पटना के स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं के नियमों को ताक पर रखा जा रहा. इसके साथ ही आरा, बक्सर, कैमूर और रोहतास जैसे जिले भी शामिल हैं. इस मामले को लेकर बार-बार इन इकाइयों को सतर्क किया गया है. इसके बावजूद भी निर्देशों का पालन नहीं किया गया. यही कारण है कि बोर्ड को मजबूरी में ये कदम उठाना पड़ा है.
नियमों का पालन नहीं करना गंभीर अपराध-बोर्ड
अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने कहा कि सभी संबंधित जिलों के डीएम को इसे लेकर नोटिस भेजे जाने की सूचना दी गई है. बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ नवीन कुमार कहते हैं कि बायो मेडिकल कचरे का निपटारा नहीं करने से इंसान और पर्यावरण दोनों को काफी नुकसान हो सकता है. 2016 का जैव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम राज्यों के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को पालन करना अनिवार्य है. ऐसा नहीं करने पर इसे गंभीर अपराध की श्रेणी में माना जाएगा.
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