पटनाः जातीय जनगणना के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब खुलकर सामने आ गई है. एक तरफ आज नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करने वाले हैं तो दूसरी ओर उसके पहले ही बीजेपी एमएलसी संजय पासवान ने जातीय जनगणना को लेकर नया दांव खेल दिया है. उन्होंने कहा कि देश में गरीबी गणना होनी चाहिए, ना की जातीय जनगणना.
शुक्रवार को रिक्शे पर सवार होकर गले में प्लेकार्ड लटकाकर बीजेपी एमएलसी संजय पासवान विधानसभा पहुंचे. उन्होंने अंदर जाने से पहले मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि देश में अब तक कितने गरीब हैं, इसकी संख्या किसी को मालूम नहीं है. ऐसे में जो लोग जातीय जनगणना कराने के बाद समाज को बांटना चाहते हैं, उन्हें समझ लेना चाहिए कि देश में गरीबों की तादाद सबसे ज्यादा है. इसलिए गरीबों की गणना होनी चाहिए.
‘गरीबी की परिभाषा और गरीब कौन ये तय होना चाहिए’
संजय पासवान ने कहा कि, “यहां तो गरीबी की परिभाषा तय नहीं है, यहां गरीबी को लेकर दर्जनों परिभाषा है, तेंदुलकर कुछ कहते हैं, राव साहब कुछ कहते हैं, नीति आयोग कुछ और कहता है, प्लानिंग कमीशन कुछ और कहता है इसलिए इस देश में गरीबी की परिभाषा और गरीब कौन ये तय होना चाहिए.”
इस दौरान अपने बयानों के जरिए नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर भी निशाना साधा. कहा कि सहयोगी पार्टियां कई बातें कहती हैं और ये जरूरी नहीं कि सभी बातों पर हमारी सहमति हो, बहुत ऐसे बात है जिसमें वो सहमत नहीं हैं और उनके भी कई बातों पर हम सहमत नहीं हैं. तेजस्वी यादव ने कहा है कि सरकार को अपने खर्च पर जातीय जनगणना करा लेना चाहिए इसपर जवाब देते हिए संजय पासवान ने कहा कि तेजस्वी के पास बहुत फंड है तो वह खुद करा लें. बहुत सारे मंडल कमीशन हैं, एससी-एसटी को आरक्षण है और क्या चाहिए? कोई आरक्षण नहीं छूटा हुआ है, सवर्ण से लेकर आदिवासी सबको आरक्षण मिला है. इसलिए जाति के आधार की जगह गरीबी के आधार की बात होनी चाहिए.
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