Jitan Ram Manjhi on Ram: 'राम भगवान नहीं हैं' वाली टिप्पणी से नाराज है बीजेपी, मांझी की आस्था पर उठाए सवाल
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांझी ने भगवान राम पर टिप्पणी की थी. रामायण का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि भगवान राम ने भी शबरी के जूठे बेर खाए थे.
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पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के एक बयान को लेकर फिर से विवाद जारी है. भगवान राम को एक काल्पनिक पात्र बताने और ‘राम भगवान नहीं हैं’ संबंधी टिप्पणी को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने शुक्रवार को जीतन राम मांझी को आड़े हाथों लिया. बीजेपी ने जीतन राम मांझी की आस्था पर ही सवाल उठाए हैं.
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा, "यह तो हंसने की बात है कि स्वयं को सबरी के वंशज कहने वाले, उन्हीं के आराध्य के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं." वहीं बीजेपी की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव निखिल आनंद ने जानना चाहा कि क्या मांझी नास्तिक हैं और अगर ऐसा नहीं है तो उनकी आस्था किस भगवान में है.
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जीतन राम मांझी का पूरा बयान पढ़ें
दरअसल, जमुई में गुरुवार को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मांझी ने भगवान राम पर टिप्पणी की थी. हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रमुख मांझी ने छुआछूत की प्रथा पर सवाल उठाया और रामायण का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि भगवान राम ने भी शबरी के जूठे बेर खाए थे.
मुसहर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मांझी ने कहा, "ऊंची जाति के लोग छुआछूत की प्रथा को खत्म करने के लिए इस उदाहरण का पालन क्यों नहीं करते? मुझे नहीं लगता है कि राम भगवान थे. वह वाल्मीकि की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस के एक किरदार हैं. दोनों की किताबों में बहुमूल्य उपदेश हैं."
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