पटना: इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस के उपाध्यक्ष और बीजेपी के कल्चरल सेल के संजोयक दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) द्वारा सम्राट अशोक पर की गई टिप्पणी पर विवाद जारी है. इस मुद्दे पर एनडीए घटक बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) फिर एक बार आमने सामने दिख रही है. जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) और उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने उन पर तंज कसा है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल (Sanjay Jaiswal) ने बुधवार को कहा कि कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए नकारात्मक प्रचार भी मेवा देने वाला पेड़ है.
जेडीयू नेता को बताया 'राजनीतिक भस्मासुर'
उन्होंने कहा, " मुझे आश्चर्य तब होता है जब कुछ समझदार राजनैतिक कार्यकर्ता भी इनके जाल में फंस कर अपने प्रचार में लग जाते हैं. वह यह भी नहीं सोचते कि इससे समाज को कितना नुकसान हो रहा है. अगर इन्हें भरपेट मेवा न दिया जाए तो इन्हें उस पेड़ की जड़ में मट्ठा डालने से भी परहेज नहीं होता. यही वजह है कि बुद्धिजीवियों द्वारा इन्हें ‘राजनीतिक भस्मासुर’ की संज्ञा दी जाती है. बिहार में भी एनडीए सरकार की मजबूती और अनुशासन के कारण कुछ ‘ख़ास नेताओं’ को मनमुताबिक मेवा नहीं मिल रहा है. यही वजह है कि यह लोग किसी न किसी मुद्दे पर लगभग रोजाना ही अलग-अलग विषयों पर एनडीए को बदनाम करने के अपने एकसूत्री एजेंडे पर कार्यरत रहते हैं."
सम्राट अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव
उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक और औरंगजेब की तुलना के मुद्दे को ही ले लें तो कुछ ‘खास नेताओं’ द्वारा जबर्दस्ती इस प्रकरण में बीजेपी को घसीटा जा रहा है. जबकि देश का बच्चा-बच्चा यह जानता है कि केवल बीजेपी ही है, जिसने भारतीय संस्कृति की रक्षा और पुनरोत्थान के अपने लक्ष्य से कभी समझौता नहीं किया. कौन नहीं जानता कि आज दुनिया भर में भारत की बढ़ी धाक बीजेपी के नेतृत्व में चल रही एनडीए सरकार की ही देन है. यह सर्वविदित है कि सम्राट अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव हैं, जिनकी आपस में तुलना की ही नहीं जा सकती. सम्राट अशोक का जीवन हमें जहां मानवीय भावनाओं पर सत्य और शांति की जीत की शिक्षा देता है, वहीं, औरंगजेब का पूरा इतिहास ही लूट, हत्या और मंदिरों को तोड़ने जैसे कुकृत्यों से भरा हुआ है. सही मानसिकता वाला कोई भी शख्स न तो इन दोनों में तुलना कर सकता है और न ही इनकी तुलना करने वालो को तवज्जो दे सकता है.
पीठ में छुरा भोंकने की मानसिकता ठीक नहीं
जायसवाल ने कहा कि याद करें कुछ नेता योग का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं. श्री राम का जयकारा लगाने को बड़ी भूल मानते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का ड्रामा करते हैं. साथ ही हिन्दू समाज को जाति में बांटने और अन्य धर्मों की चाटुकारिता करने में भी निरंतर लगे रहते हैं. ऐसे लोगों को तब न तो संस्कृति की याद आती है और न ही भारतीयता की. इससे स्पष्ट है कि न तो ये भगवान राम के हैं और न ही सम्राट अशोक के. इनकी छटपटाहट बस अपने फायदे के लिए है. उन्होंने कहा कि वास्तव में बीजेपी और एनडीए की पीठ में छुरा घोंपने की यह मानसिकता राज्य के लिए ठीक नहीं है.
कुशवाहा ने किया पलटवार
इधर, संजय जायसवाल के वार पर उपेंद्र कुशवाहा ने पलटवार किया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, " अच्छा लगा, संजय जायसवाल ने सम्राट अशोक की औरंगजेब से की गई तुलना को नकारात्मक प्रचार से मेवा प्राप्त करने वाला पेड़ बताया. मगर ऐसे कुकर्म के बदले पुरस्कार से नवाजा जाना आखिर क्या साबित करता है? देर से ही सही, भूल-सुधार के लिए पुरस्कार वापसी की मांग पर आपका समर्थन है?"
बता दें कि जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (Lalan Singh) ने दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक पर की गई टिप्पणी पर की निंदा करते हुए देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से उनसे पद्मश्री पुरस्कार वापस लेने की मांग की है. गौरतलब है कि बीते दिनों दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर एक नहीं कई टिप्पणियां की थीं, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि अब तक इतिहास और साहित्य में अशोक के उजले पक्ष को ही उजागर किया गया. जबकि, वह एक क्रूर शासक था.
यह भी पढ़ें -