Name Plate Controversy: बिहार NDA में सिर फुटव्वल जारी, नेम प्लेट विवाद पर बीजेपी और जेडीयू के राग अलग-अलग
Bihar Politics: यूपी और हिमाचल सरकारों ने दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के निर्देश दिए हैं. इस विवाद पर बिहार में भी राजनीति शुरू हो गई है. इस मुद्दे पर बीजेपी और जेडीयू में मतभेद है.
Name Plate Controversy: यूपी के बाद अब हिमाचल प्रदेश के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दुकानों पर नेम प्लेट लगाने के निर्देश दिए हैं. वहीं, विक्रमादित्य सिंह के इस निर्देश के बाद नेम प्लेट विवाद एक बार फिर चर्चा में है. बिहार में भी इस पर सियासित शुरू हो गई है. बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक ने शुक्रवार को कहा कि यूपी की तरह बिहार सहित पूरे देश में खाने पीने की दुकानों पर नेम प्लेट लगाना अनिवार्य किया जाए. पहचान छुपाने की जरूरत उसी को पड़ती है जो गलत काम करता है. वहीं, जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने नेम प्लेट लगाने से कुछ नहीं होगा. दुकान में जो सामग्री बिक रही है उसके मानक की जांच होनी चाहिए.
बीजेपी ने की बिहार में नेम प्लेट की मांग
खाद्य सामग्री में यूरिन, थूक मिलाने की घटनाओं पर अजय आलोक ने कहा कि दुष्ट पापी लोग यह सब करते रहते हैं और इसको धार्मिक रूप देते हैं. ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. नेम प्लेट लगने से यह होगा कि लोग अपनी आस्था के अनुसार किसी ढाबे में जाकर खाना खा सकते हैं. 50 साल से यही देख रहे हैं कि खिलाने वाला कोई और रहता है. बनाने वाला कोई और रहता है. ट्रांसपेरेंसी रहनी चाहिए.
बीजेपी की मांग पर जेडीयू की सहमति नहीं
वहीं, नीरज कुमार ने कहा कि तेल मसालों में कितनी मिलावट है. इसकी जांच करिए. पूरी सामग्री का विवरण दुकान के आगे चस्पा कर बताइए कि कितना शुद्ध है? राजनीतिक स्वास्थ्य के लिए इस तरह की मांग ठीक है, लेकिन मानवीय स्वास्थ्य के लिए यह ठीक तब होगा जब हमारी मांगें मानी जाएंगी. पारदर्शिता तो तब आएगी जब हमारी यह मांग लागू होगी. बता दें कि इस मुद्दे पर पूरे देश में सियासी बहस छिड़ गई है.
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